झामुमो का अभेद्य किला है बरहेट, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं यहां से विधायक

Jharkhand Assembly Election: संताल परगना का बरहेट विधानसभा क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए सबसे सेफ सीट में एक है. हेमंत सोरेन 10 साल से विधायक हैं.

By Mithilesh Jha | July 17, 2024 2:35 PM

Jharkhand Assembly Election|बरहरवा (साहिबगंज), विकास जायसवाल : झारखंड का बरहेट विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर पिछले कई दशक से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की मजबूत पकड़ है. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष व राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यहां से पिछले 10 वर्षों से विधायक हैं.

10 साल से बरहेट विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं हेमंत सोरेन

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां के विधायक हेमंत सोरेन ने बरहेट के अलावा दुमका से विधानसभा चुनाव लड़ा. उनको दोनों जगहों से जीत मिली. बाद में हेमंत सोरेन ने दुमका सीट से इस्तीफा दे दिया और बरहेट से विधायक बने हुए हैं. यहां से हेमलाल मुर्मू झामुमो से ही चार बार विधायक निर्वाचित हुए.

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2009 में झामुमो से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए हेमलाल मुर्मू

2009 में हेमलाल मुर्मू ने अपनी पार्टी झामुमो से बगावत करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया था. वह बरहेट से भाजपा के टिकट पर 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन खिलाफ लड़े, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. वर्ष 2023 में हेमलाल मुर्मू भाजपा छोड़ पुन: झामुमो में लौट आए.

अलग झारखंड राज्य बनने के बाद झामुमो की सेफ सीट बनी बरहेट

बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बरहेट की सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए काफी सेफ मानी जाने लगी. यहां पर आदिवासी एवं मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं. बरहेट विधानसभा क्षेत्र में साहिबगंज जिले के बरहेट व पतना प्रखंड के अलावा गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी एवं बोआरीजोर की छह पंचायत आती हैं. यह सीट इसीलिए हॉट सीट मानी जा रही है, क्योंकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यहां से विधायक हैं.

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यहां घट रही आदिवासियों की आबादी : सिमोन मालतो

2019 के विधानसभा चुनाव में बरहेट विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले सिमोन मालतो ने कहा कि बरहेट विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण व पहाड़ी इलाके में स्थायी रूप से शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पायी है. ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नहीं है. महिलाओं के साथ दुष्कर्म, हत्या की कई घटनाएं हाल के दिनों में घटी. यहां पर आदिवासी एवं पहाड़िया युवतियों से कुछ समुदाय के लोग बहला-फुसलाकर शादी कर लेते हैं. इससे आदिवासी एवं पहाड़िया समुदाय के लोगों की आबादी दिन-प्रतिदिन घट रही है. सिदो-कान्हू के वंशज को नौकरी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. सीट से अक्सर क्षेत्र से बाहर के निवासी निर्वाचित हुए.

गर्मी के दिनों में हमारे पहाड़ी क्षेत्र में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जाती है. टैंकर से पानी आता है, लेकिन इसका स्थायी निदान करने की जरूरत है.

मैसा पहाड़िया, ग्रामीण

पावर ग्रिड, सड़क व पुल-पुलिया का बिछा जाल : संजय गोस्वामी

बरहेट में ऐसे तो बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं. बरहेट में पावर ग्रिड का निर्माण हुआ है, इस कारण यहां के क्षेत्र में 22-23 घंटे बिजली रहती है. दो दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण पुल का निर्माण कराया गया है. बरहरवा शहर से पतना प्रखंड सटा हुआ है, यहां पर जाम से मुक्ति दिलाने के लिए केसरो से खैरबनी बायपास, बरहेट व रांगा थाना भवन का निर्माण, बिंदुधाम मंदिर जाने के लिए झिकटिया पलटनिया रोड का निर्माण, वीर शहीद सिदो-कान्हू के गांव भोगनाडीह में भोगनाडीह से लखीपुर तक सड़क चौड़ीकरण की स्वीकृति, पतना से हिरणपुर तक सड़क बनवायी गयी है. इसके अलावा भी कई काम हुए हैं. अबुआ आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को आवास व मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है.

बरहेट प्रखंड क्षेत्र में एक भी कॉलेज नहीं है. इस कारण यहां के छात्र-छात्राओं को कॉलेज में दाखिला लेने के लिए बरहरवा जाना पड़ता है. यहां पर एक कॉलेज होने से काफी सुविधा होती.

लक्ष्मी कुमारी, छात्रा

एक्सपर्ट बोले – सिंचाई के अभाव में नहीं हो पा रही उन्नत खेती

रमेश हेंब्रम कहते हैं कि बरहेट विधानसभा सहित साहिबगंज एवं पाकुड़ जिला क्षेत्र में पलायन एवं आधुनिक तरीके से खेती नहीं होना यहां का प्रमुख मुद्दा है. यहां के काफी लोग रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करते हैं. उनके खेतों में सिंचाई की सुविधा नहीं होने एवं उन्नत तकनीक नहीं होने के कारण केवल एक फसल ही होती है, जिससे किसान काफी परेशान रहते हैं. पत्थर उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से यहां के 80% लोग जुड़े हैं. इसमें तेजी आने से यहां के लोगों को रोजी-रोजगार उपलब्ध होगा और मजदूरों का पलायन भी रुकेगा.

बरहेट विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दे

  • बरहेट को अनुमंडल बनाने की मांग : बरहेट को अनुमंडल बनने की मांग लंबे समय से हो रही है. झारखंड गठन के बाद से यह मांग कई बार उठी, पर अब तक अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल पाया है.
  • सिंचाई : क्षेत्र में खेतों की सिंचाई के लिए गुमानी बराज परियोजना का निर्माण बरहेट-शिवगादी रोड में गुमानी नदी पर कराया गया है. इस योजना में अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन यह योजना पूरी नहीं हो सकी है. इस कारण यहां के किसानों को इस परियोजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
  • स्वास्थ्य : बरहेट विधानसभा क्षेत्र के बरहेट एवं रांगा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां पर अक्सर डॉक्टर व दवा की कमी रहती है, तो कभी दवा की कमी रहती है. लेकिन समय-समय पर सिविल सर्जन एवं वरीय अधिकारियों के द्वारा निरीक्षण किया जाता है और इसकी निगरानी रखी जाती है. इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण यहां पर स्वास्थ्य सुविधा बेहतर नहीं है. यहां के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल साहिबगंज जाना पड़ता है.

बरहेट में पहले की तुलना में सड़क काफी बेहतर हुई है. यहां पर हम लोगों को पहले काफी दिक्कत होती थी, लेकिन अब सड़क बन गयी है. इससे परेशानी कम होती है.

बालक साह, ग्रामीण

बरहेट विधानसभा : 2009 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामप्राप्त मत
हेमलाल मुर्मूझामुमो40621
विजय हांसदानिर्दलीय20303

बरहेट विधानसभा : 2014 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामप्राप्त मत
हेमंत सोरेनझामुमो62515
हेमलाल मुर्मूभाजपा38428

बरहेट विधानसभा : 2019 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामप्राप्त मत
हेमंत सोरेनझामुमो73725
सिमोन मालतोभाजपा47985

बरहेट विधानसभा के अब तक के विधायक

चुनाव का वर्षविधायक का नामपार्टी
1957बाबूलाल टुडूझारखंड पार्टी
1962बाबूलाल टुडूझारखंड पार्टी
1967मसीह सोरेननिर्दलीय
1972मसीह सोरेननिर्दलीय
1977परमेश्वर हेंब्रमजनता पार्टी
1980थॉमस हांसदाकांग्रेस
1985थॉमस हांसदाकांग्रेस
1990हेमलाल मुर्मूझामुमो
1995हेमलाल मुर्मूझामुमो
2000हेमलाल मुर्मूझामुमो
2005थॉमस सोरेनझामुमो
2009हेमलाल मुर्मूझामुमो
2014हेमंत सोरेनझामुमो
2019हेमंत सोरेनझामुमो

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