उधवा पक्षी अभयारण्य बनेगा वेटलैंड, 2.70 करोड़ रुपये होंगे खर्च

झील के विकास के लिए वन प्रमंडल का एकीकृत प्रबंधन प्लान स्वीकृत

By Prabhat Khabar News Desk | January 15, 2025 8:29 PM

साहिबगंज. साहिबगंज जिले का उधवा पक्षी अभयारण्य एक बार फिर से सुर्खियों में है. यहां के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और प्रवासी पक्षियों के कलरव को और भी आकर्षक बनाने के लिए 2.70 करोड़ रुपये की लागत से सौंदर्यीकरण किया जायेगा. यह घोषणा डीएफओ प्रबल गर्ग ने की. उन्होंने बताया कि वन प्रमंडल साहिबगंज द्वारा प्रस्तुत एकीकृत प्रबंधन योजना को एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) से मंजूरी मिल गयी है. इस योजना के तहत साहिबगंज के एकमात्र वेटलैंड क्षेत्र उधवा पक्षी अभयारण्य में झीलों का सीमांकन, जल भंडारण संरक्षण, जल प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण, स्थायी संसाधन विकास, आजीविका सशक्तीकरण, और संस्थागत विकास के कार्य किये जायेंगे. यह परियोजना केवल क्षेत्र के सौंदर्यीकरण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आजीविका के नये अवसर भी प्रदान करेगी. डीएफओ प्रबल गर्ग के अनुसार, जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण और जल प्रबंधन के तहत पानी की समस्या का समाधान किया जायेगा. साथ ही, जैव विविधता संरक्षण के माध्यम से पर्यावरण को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी. प्रवासी पक्षियों को मिलेगा संरक्षण उधवा पक्षी अभयारण्य हर साल सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है. इन पक्षियों में रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ब्लैक हेडेड गुल, कॉमन कूट, ग्रीन विंग्ड टील और अन्य प्रजातियां शामिल हैं. यह परियोजना इन पक्षियों के आवास को सुरक्षित और संरक्षित करने में अहम भूमिका निभायेगी. गौरतलब है कि इस क्षेत्र की प्रमुख झीलें, जैसे पतौड़ा झील, ब्रह्म जमालपुर झील और पुरुलिया झील, इन पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना हैं. नवंबर से फरवरी तक इन झीलों में हजारों किलोमीटर दूर से आये साइबेरियन पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है, जो सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनती है. सैलानियों के लिए होंगे खास इंतजाम वन विभाग ने सैलानियों के अनुभव को और खास बनाने के लिए वन कुटीर और गेस्ट हाउस की व्यवस्था की है. अब पर्यटक झील के किनारे रात बिताकर प्रवासी पक्षियों की जलक्रीड़ा का आनंद उठा सकेंगे. बच्चों के मनोरंजन के लिए विशेष झूलों की भी व्यवस्था की गयी है. यह परियोजना न केवल उधवा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार लाएगी. इसके साथ ही यह पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी.

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