Nimbu Pahad Illegal Mining Case|अवैध खनन मामले में सीबीआई को हाईकोर्ट से झटका, झारखंड सरकार को बड़ी राहत
Nimbu Pahad Illegal Mining Case|साहिबगंज जिले के नींबू पहाड़ अवैध खनन मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने ऑनलाइन बहस की और अपनी दलील में सीबीआई की जांच को अवैध करार दिया. दोनों पक्षों का फैसला सुनने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
Nimbu Pahad Illegal Mining Case|साहिबगंज जिले के नींबू पहाड़ अवैध खनन मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने ऑनलाइन बहस की और अपनी दलील में सीबीआई की जांच को अवैध करार दिया. दोनों पक्षों का फैसला सुनने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
कपिल सिब्बल ने रखा झारखंड सरकार का पक्ष
शुक्रवार (16 फरवरी) को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने झारखंड सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट को बताया कि सीबीआई ने बिना सरकार की अनुमति के जांच शुरू की. उन्होंने यह भी बताया कि किसी कोर्ट ने भी सीबीआई को जांच करने का आदेश नहीं दिया था. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए.
सीबीआई जांच पर झारखंड हाईकोर्ट लगा चुकी है रोक
झारखंड हाईकोर्ट इस मामले की सीबीआई जांच पर पहले ही रोक लगा चुकी है. बता दें कि नींबू पहाड़ अवैध खनन मामले में अगर शुरुआती जांच में कुछ मिलता है, तो आप आगे बढ़ सकते हैं. इसके बाद सीबीआई की ओर से कोर्ट के आदेश में संशोधन की याचिका दाखिल की गई.
सीबीआई की इस याचिका को खारिज कर चुका है कोर्ट
इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई से कहा कि आप आदेश में संशोधन की मांग क्यों कर रहे हैं. अगर कुछ तथ्य मिला है, तो आप आगे बढ़ सकते हैं. सीबीआई ने पीई के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली और आगे की जांच शुरू कर दी. झारखंड सरकार ने इसका विरोध किया है.
नींबू पहाड़ अवैध खनन मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
झारखंड सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि यदि सीबीआई को पीई में कुछ तथ्य मिला, तो उसे सरकार से अनुमति लेकर प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए थी. लेकिन, उसने ऐसा नहीं किया. उसने बिना सरकार से अनुमति लिए ही सीधे प्राथमिकी दर्ज कर ली. यह गलत है. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने सीबीआई और झारखंड सरकार का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.