साहिबगंज. जिले में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर प्रशासनिक अधिकारी चाहे जितना भी दंभ भर लें. पर वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र या पहाड़ पर स्थित विद्यालयों की बात क्या की जाये, जब जिला मुख्यालय के विद्यालय ही सुविधाविहीन हो. मामला साहिबगंज शहर के उर्दू मध्य विद्यालय कुलीपाड़ा का है, जहां वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई होती है. वर्तमान में केवल दो शिक्षिका ही पदस्थापित हैं. इसमें सुशीला देवी को वर्तमान में विद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है. विद्यालय में कुल 106 छात्राएं नामांकित हैं. स्थानीय ग्रामीणों की माने तो प्रभारी प्राचार्य ज्यादातर समय विद्यालय से बाहर ही रहती हैं. ग्रामीणों ने कहा कि प्रभारी प्राचार्य को हमेशा विद्यालय प्रारंभ होने के एक घंटे बाद बाहर निकलते देखा जा सकता है. प्राचार्य सुशीला देवी बताती है कि विभागीय कार्यों को लेकर प्रखंड संसाधन केंद्र जाना पड़ता है. ऐसे में विद्यालय में पढ़ाई का जिम्मा केवल शिक्षिका फरहत जवीं के जिम्मे रहता है. उर्दू विद्यालय होने के कारण विद्यालय शुक्रवार को बंद व रविवार को खुला रहता है. रविवार को विद्यालय की प्राचार्य लगभग 11:45 बजे विद्यालय पहुंची. जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि विद्यालय आने के बाद किसी निजी काम के लिए वह गयी हुई थी. रविवार को 12:30 बजे विद्यालय में छात्राओं की उपस्थिति के बारे में जानकारी मांगने पर प्रभारी प्राचार्य ने कहा कि अभी तक उपस्थित नहीं ली गयी है. संयोजक रेहाना खातून से जब रविवार के उपस्थित बच्चों की संख्या जानना चाही तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जाहिर की. रविवार को 12:30 बजे तक मधह्न भोजन योजना की तैयारी भी प्रारंभ नहीं हो पायी थी. विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं ने बताया कि कमरे में पंखे तो लगे हैं. पर यह केवल शोभा की वस्तु बनी है. छात्राओं का कहना था कि उमस भरी गर्मी में उन लोगों का कॉपी और किताब ही सहारा बनता है. कुलीपाड़ा निवासी विद्यालय की छात्रा के अभिभावक मुर्शीद अली ने बताया कि समाज में एकमात्र उर्दू विद्यालय तो है, पर शिक्षक की कमी व व्यवस्था की कमी के कारण यहां पढ़ाई नहीं हो पाती है. मुर्शीद अली ने बताया कि मध्याह्न भोजन के नाम पर भी विद्यालय में गजब की गड़बड़ी चल रही है. छात्राओं की संख्या को बढ़ाकर दिखाया जाता है. मध्याह्न भोजन की राशि अध्यक्ष सचिव और संयोजिका के बीच बंदरबांट हो जाती है. ज्ञात हो कि विद्यालय में पूर्व में पांच शिक्षक पदस्थापित थे, जिनमें से मो इकबाल का स्थानांतरण इमली टोला उर्दू मध्य विद्यालय हो गया, जबकि गजल तबस्सुम और मो हलीम सेवानिवृत्त हो चुके हैं. एक और तो विद्यालय की छात्राएं शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई बाधित हो रही है. वहीं दूसरी ओर सरकारी व्यवस्थाओं में भी जमकर लूट की जा रही है. छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में कभी किसी भी अधिकारी का आना नहीं होता है. शायद यही कारण है कि विद्यालय की शिक्षिका निश्चित होकर अपनी मनमानी करती है. कहते हैं अधिकारी विद्यालय में प्रतिदिन अपने समय पर ही मध्याह्न भोजन तैयार हो जाता है. रविवार को मेरी निजी व्यस्तता के कारण कुछ विलंब हुआ. मध्याह्न भोजन बना कर बच्चों को उपलब्ध कराया जायेगा. सुशीला देवी, प्रभारी प्राचार्य बिना जानकारी के विद्यालय से अनुपस्थित रहना गंभीर मामला है. सभी प्रखंडों का प्रभारी होने के कारण विद्यालयों में समय नहीं दे पा रहा हूं. किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जायेगी. प्रफुल्ल चंद्र सिंह, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी
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