मांग. आदिवासी छात्रावास प्रांगण में प्रभात संवाद का आयोजन, छात्रों ने सुनायी परेशानी
50 सीट वाले छात्रावास में 100 छात्र रहने को हैं मजबूरमांग के बावजूद नये भवन बनाने की नहीं हो रही पहलफोटो नं 22 एसबीजी 1 है
कैप्सन – गुरूवार को छात्रावास में प्रभात संवाद में उपस्थित छात्रनायक व अन्यसंवाददाता, साहिबगंज
साहिबगंज महाविद्यालय के आदिवासी छात्रावास प्रांगण में गुरुवार सुबह 11 बजे प्रभात संवाद का आयोजन छात्रनायक समराज सोरेन की अध्यक्षता में किया गया. इसमें हॉस्टल के जर्जर भवन, शौचालय, बिजली, पानी व बंद पडी हाइमास्ट लाइट व साइकिल स्टैंड ससमेत हॉस्टल में कमरों की कमी की समस्या पर चर्चा हुई. हॉस्टल में कैपेसिटी से ज्यादा विद्यार्थी रहने को मजबूर हैं. छात्रावास में 50 सीट में कम से कम 100 विद्यार्थी रहते हैं. एक रूम में 7 से 8 विद्यार्थी गुजारा करते करते हैं. नया छात्रावास की मांग वर्षों से की जा रही है. अब तक पूरी नहीं हुई. बिजली कटने के बाद छात्रावास अंधेरा हो जाता है. कम से कम सोलर लाइट की व्यवस्था हो.चहारदीवारी गिरने के बाद गंगा का पानी प्रवेश कर जा रहा है. सांप व बिच्छु निकलते हैं. रात में भय भी बना रहता है. जिला प्रशासन व जिला कल्याण विभाग से कई बार शिकायत भी की गयी है. पर पहल नहीं हुई. पिछले दिनों राष्ट्रीय एसटी, एससी मोर्चा के सदस्य आशा लकड़ा भी यहां पहुंचकर छात्रों से बातचीत की है. प्रभात संवाद के विषय प्रवेश ब्यूरो प्रभारी सुनील ठाकुर ने किराया. धन्यवाद ज्ञापन रंजन कुमार ने किया. मौके पर प्रतिनिधि राजा नसीर, अजीत सोरेन, अमित हांसदा, बबलू मुर्मू, मथयुस हांसदा, मिशन मुर्मू, सुशील सोरेन, सुजीत किस्कू, लखीराम हांसदा, मांझी मुर्मू, बेटवा किस्कू, शिव हांसदा, एअलेसियुस सोरेन, सुरेंद्र मरांडी, संतोष मुर्मू, मनोहर टुडू, सामराज सोरेन, विनोद मुर्मू, अजय टुडू, बेनेटिक हांसदा, प्रकाश जॉन हांसदा, रंजीत हांसदा, सलमान सोरेन, शोबन टुडू, सोम मरांडी, निर्मल किस्कू, मुन्ना मुर्मू, संजय बेसरा, दिनेश हांसदा, राजन किस्कू उपस्थित थे.क्या कहते हैं हॉस्टल के छात्र
फोटो नं 22 एसबीजी 2 हैकैप्सन – समराज सोरेनएकमात्र कॉलेज जहां हजारों छात्र-छात्राएं इंटर से लेकर डिग्री व बीएड की शिक्षा लेने दूर दराज ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हुए, लेकिन हॉस्टल की हालत दयनीय है. जल्द पहल हो.
समराज सोरेन, छात्रनायक फोटो नं 22 एसबीजी 3 हैकैप्सन – मनोहर टुडूछात्रावास में मेस की सुविधा नहीं है. किचन जर्जर की स्थिति में है. लकड़ी से खाना बनाने में बारिश में और अधिक समस्या बढ़ती है. छत से पानी रिसता है. खाना बनाने के लिए गैस सिलिंडर व भट्टी की व्यवस्था हो.मनोहर टुडू, पूर्व छात्र नायकफोटो नं 22 एसबीजी 4 हैकैप्सन – अजय टुडूहॉस्टल में कैपेसिटी से ज्यादा विद्यार्थी रहने को मजबूर हैं. छात्रावास में 50 सीटेट में कम से कम 100 विद्यार्थी रहते हैं. एक रूम में 7 से 8 विद्यार्थी गुजारा करते हुए नया छात्रावास की मांग वर्षों से है. नया भवन बने.अजय टुडू, पूर्व छात्र सचिवफोटो नं 22 एसबीजी 5 हैकैप्सन – विनोद मुर्मू
छात्रावास की समस्या दूर नहीं हो पायी है. स्थिति ठीक नहीं है. भवन जर्जर है. मेस की कमी है. बाढ़ की समस्या में जूझना पड़ता है. पेयजल की व्यवस्था नहीं है. जलमीनार का निर्माण होना चाहिए.विनोद मुर्मू, पूर्व छात्र नायक
फोटो नं 22 एसबीजी 6 हैकैप्सन – गुरूवार को छात्रावास अधीक्षक प्रोफ़ेसर मारियन हेंब्रमकई बार हास्टल की समस्या से प्रशासन से अवगत कराया है. इन समस्याओं को समाधान करना मेरे लिए चुनौती होगी. हॉस्टल की जो भी मूलभूत समस्या हैं. इसका जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है.
प्रो मारियन हेंब्रम, छात्रावास अधीक्षकफोटो नं 22 एसबीजी 7 हैकैप्सन – संतोष मुर्मू
आदिवासी हॉस्टल की व्यवस्था ठीक नहीं है. शासन से लेकर प्रशासन तक आश्वासन मिला. पर पूर्ण समस्या का समाधान नहीं हुआ. छत से प्लास्टर टूट कर गिरते हैं. क्षमता से अधिक विद्यार्थी किसी तरह रहते हैं.संतोष मुर्मू, पूर्व छात्र सचिव फोटो नं 22 एसबीजी 8 हैकैप्सन – बेताल हांसदा
हॉस्टल में मूलभूत समस्या वर्षों से है. प्रशासन का आश्वासन मिलता है. आज तक हॉस्टल में पूर्ण व्यवस्था नहीं मिला, विद्यार्थी दिक्कत में रह रहा है. नया हॉस्टल की मांग वर्षों से है, न लाइब्रेरी है, न मेस की व्यवस्था हो.बेताल हांसदा, सीनियर छात्र
फोटो नं 22 एसबीजी 9 हैकैप्सन – प्रकाश जोन किस्कूहॉस्टल की हालत अत्यंत ही जर्जर है. एक और सरकार जहां अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के बच्चों को शिक्षा व सुविधा देने के नाम पर बड़े-बड़े दावे करती है. वहीं हॉस्टल देखकर सवाल उठने लगते हैं.
प्रकाश जोन किस्कूफोटो नं 22 एसबीजी 10 हैकैप्सन – रंजीत हांसदा
हॉस्टल में केवल इंटर और डिग्री के लिए हीं रहने की व्यवस्था है. छात्रवृत्ति की राशि कुछ वर्षों से घटा दी गयी है. कॉलेज और यूनिवर्सिटी से फीस बढ़ते जा रही है. इससे गरीब छात्रों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है.रंजीत हांसदा
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