सदर अस्पताल में बिना इलाज कराये लौटे 150 मरीज, इमरजेंसी सेवा रही बहाल
कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप व हत्या के विरोध में साहिबगंज के चिकित्सकों में दिखा उबाल
साहिबगंज. कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार कर निर्मम हत्या किये जाने के मामले व असामाजिक तत्वों के द्वारा मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ व मारपीट की घटना के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर देश भर के डॉक्टर शनिवार को सामूहिक हड़ताल पर रहे. वहीं कोलकाता के कांड को लेकर जिले के चिकित्सकों के बीच भी रोष व्याप्त है. जिले के सरकारी व गैर-सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी महिला चिकित्सक की हत्या व दुष्कर्म के मामले को लेकर इमरजेंसी सेवा को छोड़ कर ओपीडी सेवा पूरी तरह से बाधित रखा. सदर अस्पताल में दर्जनों चिकित्सकों ने सदर अस्पताल परिसर में अपने हाथो में जस्टिस फोर डाॅक्टर, डाॅक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारियों को सुरक्षा देनी होगी के तख्ती लिये सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक बैठे रहे. वहीं इमरजेंसी कक्ष में चिकित्सक डाॅ मोहन मुर्मू मरीजों का इलाज कर रहे थे. ओपीडी व दवा वितरण केंद्र पर ताला लटका हुआ था. चिकित्सक के द्वारा किये गये ओपीडी बहिष्कार के कारण सदर अस्पताल में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज कराने पहुंचे लगभग 150 आम मरीज बिना इलाज के ही सदर अस्पताल से लौट गये. सदर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा सुचारू रूप से चालू रही. विरोध प्रदर्शन में झासा के जिलाध्यक्ष डाॅ रणविजय कुमार, डाॅ मुकेश कुमार, डाॅ मोहन मुर्मू, डाॅ तबरेज आलम, डाॅ ए गोस्वामी, डाॅ सचिन कुमार, डाॅ राबिया अफताब खान, डाॅ भारती कुमारी, डाॅ शहनवाज आलम, डाॅ कुमारी स्नेहलता, डाॅ फरोग हसन, डाॅ पिंकू चौधरी समेत सदर अस्पताल के कई कर्मचारी मौजूद थे. दूसरी ओर शहर के प्राइवेट अस्पताल झुमावती, सूर्या सूपर स्पेशलिटी अस्पताल भी बंद रहे. एक भी मरीज को नहीं देखे गयें. डॉक्टरों की मुख्य मांगें दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये. मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाये. अस्पताल परिसर को सेफ जोन घोषित किया जाये. बायोमैट्रिक अटेंडेंस से वेतन को नहीं जोड़ा जाये. क्रॉस वेरिफिकेशन पोर्टल को बंद किया जाये. क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन किया जाये. सरकारी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरा व स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था हो.
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