साहिबगंज जिले में हैं 457 एकल शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालय, कैसे होगा ‘नो डिटेंशन पॉलिसी का अनुपालन’
पतना प्रखंड में सबसे अधिक 89 व सदर में सबसे कम 11 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां हैं एक शिक्षक
बरहरवा. अब राज्य के सरकारी विद्यालयों में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को भी उत्तीर्ण होने की आदत डालनी होगी. 2026 से इन विद्यार्थियों को बिना पास किये अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जायेगा. राज्य सरकार अब आठवीं कक्षा की तर्ज पर ही पांचवीं कक्षा में भी बच्चों के बिना पास किये उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट करने की पॉलिसी को खत्म करने की तैयारी कर रही है. इससे स्कूली बच्चों के शैक्षणिक स्तर को और बेहतर किया जा सकेगा. बच्चे कक्षा बढ़ने के साथ अगली क्लास में जा रहे थे, लेकिन उनकी पढ़ाई कमजोर हो रही थी. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे रिपोर्ट 2021 के अनुसार, झारखंड की सभी कक्षाओं में बच्चों का औसत अंक राष्ट्रीय स्तर की तुलना में कम था. ऐसे में कक्षा पांचवीं में बोर्ड परीक्षा से प्रारंभिक कक्षा में बच्चों की पढ़ाई और बेहतर होगी. लेकिन, सरकार की इस नीति का फायदा जिले के विभिन्न प्रखंडों के बच्चों को शत-प्रतिशत मिलने में कठिनाई हो सकती है. जिले के 9 प्रखंडों के 457 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें महज एक शिक्षक ही विद्यालय का संचालन कर रहे हैं. उन्हें विद्यालय का प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाने के बाद उस विद्यालय में पढ़ने वाले एक से पांचवीं तक के बच्चों को शिक्षित करने व पीएम पोषण योजना (मीड-डे-मील) का लाभ दिये जाने की भी जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इस जिम्मेदारी को निभाने में प्रभारी प्रधानाध्यापकों के पसीने छूट रहे हैं. 2026 से लागू किये जाने वाली सरकार की इस नीति का भी अनुपालन करने की जिम्मेदारी भी उन पर बढ़ेगी. साथ ही अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, ताकि उनका बच्चा पांचवीं कक्षा उत्तीर्ण कर सके. ज्ञात हो कि केंद्र सरकार के द्वारा ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी गयी है. अब पांचवीं एवं आठवीं कक्षा की परीक्षा में अनुत्तीर्ण (फेल) होने वाले विद्यार्थियों को पास नहीं किया जायेगा. बल्कि, छात्र जिस कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, उसी में दोबारा पढ़ेंगे. केंद्र सरकार की यह नियमावली जिले में शिक्षकों की कमी के कारण आखिर कैसे पूरी होगी, यह बड़ा प्रश्न है. जब विद्यालय में शिक्षक की ही कमी रहेगी, तो बच्चों को शिक्षा कैसे मिलेगी. जिले के 457 विद्यालयों में एकल शिक्षक निभा रहे ऑलराउंडर की भूमिका शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक विद्यालयों में प्रत्येक 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक नियुक्त करने का प्रावधान है. इससे उस कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को शिक्षित करने में अहम योगदान होता है. उन्हें सभी विषयों का ज्ञान सही तरीके से मिल पाता है. लेकिन, जिले के 457 विद्यालय ऐसे हैं, जहां के शिक्षक बच्चों को शिक्षित तो करते ही हैं, साथ ही उन्हें शारीरिक शिक्षा का भी ज्ञान देते हैं. शिक्षकों की कमी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. जिले के पतना प्रखंड में सबसे अधिक 89 तथा सदर प्रखंड में सबसे कम 11 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां एक ही शिक्षक कार्य कर रहे हैं. जब आते हैं बीआरसी, तो आधे दिन नहीं होती है पढ़ाई एकल शिक्षक वाले विद्यालय में शिक्षक को रोजाना रिपोर्ट जमा करने बीआरसी आना पड़ता है. इस स्थिति में विद्यालय में आधे दिन की छुट्टी हो जाती है. साथ ही अगर इन विद्यालयों में शिक्षक किसी कारणवश अवकाश में रहते हैं, तो अगल-बगल के विद्यालय से वहां शिक्षक प्रतिनियुक्ति किये जाते हैं. लेकिन, उक्त शिक्षक या तो विद्यालय नहीं पहुंचते हैं. या पहुंचते भी हैं तो बच्चों के मध्याह्न भोजन के बाद वह भी वहां से चले जाते हैं. ऐसे में विद्यालय का ताला रसोईया को बंद करना पड़ता है एवं कभी-कभी विद्यालय ही रसोईये के भरोसे ही चलता है. पांचवीं कक्षा उत्तीर्ण होने में दो बार मिलेगा अवसर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के द्वारा तैयार किये गये इस प्रस्ताव से बच्चों की पढ़ाई तो बेहतर होगी ही, उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके. पांचवीं कक्षा की कक्षा की परीक्षा लेने की जिम्मेदारी जेसीईआरटी को दी जा सकती है. ऐसे में वैसे विद्यार्थी जो परीक्षा में उत्तीर्ण हो जायेंगे, उन्हें दूसरा अवसर भी मिल सकेगा. इसके लिए विशेष कक्षाएं भी संचालित की जायेंगी. यदि विद्यार्थी दूसरी बार की परीक्षा में भी पास नहीं होते हैं, तो उन्हें पांचवीं कक्षा में ही पढ़ना होगा. प्रखंडवार एकल शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालय प्रखंड विद्यालयों की संख्या पतना 89 बोरियो 74 बरहेट 63 मंडरो 52 तालझारी 50 राजमहल 48 बरहरवा 36 उधवा 34 साहिबगंज सदर 11 कहते हैं पदाधिकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ दुर्गानंद झा ने बताया कि पूरे जिले में शिक्षकों की कमी है. हमारे पास जितने शिक्षकों की उपलब्धता है, उसी में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है. शिक्षकों की पोस्टिंग होने के बाद हमलोग समस्या का समाधान करेंगे.
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