टेबल ऑफ कंटेंट
- मंडरो स्थित जुरासिक काल के तारा पहाड़ के फॉसिल अभी भी संरक्षण से वंचित
- डायनासोर के जमाने से भी पुराने हैं यहां के पत्थर
- नीतिश प्रियदर्शी, जियोलॉजिकल प्रोफेसर से बात
- मंडरो, साहिबगंज रिपोर्टर से बातचीत
Fossil Park: यूपी में सोनभद्र के फॉसिल पार्क को यूनेस्को की लिस्ट में शामिल करने का प्रयास सार्थक होने जा रहा है, लेकिन झारखंड के साहिबगंज जिला स्थित मंडरो प्रखंड में करोड़ों वर्ष पुराना फॉसिल पार्क के तारा पहाड़ का अभी भी संरक्षण नहीं हो पाया है.
जुरासिक काल के फॉसिल
मंडरो प्रखंड का फॉसिल पार्क जुरासिक काल का है. माना जाता है कि इसपर कभी डायनासोर ने राज किया होगा. लोग इसको ठीक से नहीं समझ पाए कि यह कितना कीमती पत्थर है और इस धरोहर को साधारण कार्यों में इस्तेमाल करने लगे. जब तक यह पता चलता काफी देर हो चुकी थी. ढरों पत्थर रोड में चुनवा दिए गए. इस फॉसिल पार्क को अशोक सहनी और बीरबल सहनी ने खोजा था. अब जबकि इसका महत्व पता चल चुका है मगर उचित संरक्षण के अभाव में लोग इस फॉसिल को लेकर जागरूक नहीं हुए हैं.
जानकारों के अनुसार ज्वालामुखी विस्फोट के कारण ये फॉसिल धरती में दब गया. यहां के लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है, जिसके कारण इस पार्क को यूनेस्को या फिर किसी भी संरक्षण साइट द्वारा लिस्ट नहीं किया गया, न ही सरकार इसे जियो-टूरिज्म में शामिल कर पा रही है. अगर सरकार यहां जियो-टूरिज्म का केंद्र बना दे तो लोग आकर समझ पाएंगे कि करोड़ो साल पहले कुछ ऐसा भी हुआ करता था. झारखंड में ऐसे भी जंगल हुआ करते थे.
डायनासोर के जमाने से भी पुराने हैं यहां के पत्थर
इस फॉसिल को लेकर जब प्रभात खबर की टीम ने नीतिश प्रियदर्शी, जियोलॉजिकल प्रोफेसर से बात की तो वे बताते हैं कि सरकार को वैज्ञानिक तरीके से इस एरिया को डेवलप करना चाहिए ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके. इस बारे में प्रसार और प्रचार होना चाहिए. अभी भी लोगों को यह जानकारी नहीं है कि जो पत्थर आप छू रहे हैं या उठा रहे हैं वह करोड़ो साल पुराना है. इसको बर्बाद मत कीजिए.
मेंटल हीलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है पत्थर
वेस्टर्न कंट्री में आज भी इन पत्थरों को इकट्ठा किया जाता है. वहां के लोग इस तरह के पत्थर को मेंटल हीलिंग और पैनिक हीलिंग में इस्तेमाल करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें करोड़ो सालों का एनर्जी स्टोर होता है.
हर एक पत्थर अपने आप में इतिहास है जो आपके बारे में कैसे आए और कहां से आए हैं. इसके साथ ही हामरे साथ क्या-क्या बिता है. हमने किन-किन चीजों को झेला हैं. ये सारे चीज पत्थरों में छुपा है.
नीतिश प्रियदर्शी, जियोलॉजिकल प्रोफेसर
गुर्मी पहाड़ पर स्थित है फॉसिल पार्क
हालांकि गुर्मी पहाड़ पर स्थित फॉसिल पार्क का शुभारंभ 30 जून 2022 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा किया गया था. इस पार्क में जुरासिक काल और हजारों वर्ष पुराना फॉसिल्स देखने को मिलता है. 4 किलोमीटर की गोलाई में स्थित पार्क परिसर में ऑडिटोरियम, म्यूजियम, कॉफी सॉप एवं रेस्टोरेंट की व्यवस्था है. गुर्मी पहाड पर स्थित फॉसिल्स पार्क का नाम झारखंड, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित कई राज्यों में चर्चित है.
फॉसिल्स पार्क परिसर में बने ऑडिटोरियम में 29 मिनट का वीडियो क्लिप दिखाया जाता है जिसमें ब्रह्मांड की संरचना एवं फॉसिल्स की उत्पत्ति के बारे में वीडियो क्लिप के माध्यम से यहां पर देख सकते हैं. फॉसिल्स पार्क बनने से कई लोगों को रोजगार भी मिला है.