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कोरोना को मात देनेवाली वृद्धा 40 किमी पैदल चल पहुंची घर

कोरोना महामारी फैलने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की कुव्यवस्था भी उजागर हो रही है. पहले जहां कोरोना को मात देनेवालों पर पुष्पवर्षा कर विदाई दी जाती थी. घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था होती थी, मगर अब सारी व्यवस्था गायब है. साहिबगंज स्वास्थ्य विभाग ने तो हद कर दी. 65 साल की वृद्धा को कोविड अस्पताल से रिलीज करने के बाद खुद घर जाने के लिए कह दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | August 9, 2020 5:50 AM
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सिविल सर्जन डॉ डीएन सिंह ने कहा कि हमारे पास मात्र चार एंबुलेंस है. इसमें कुछ एंबुलेंस कोविड-19 के कार्य से रांची और धनबाद जाता है. मरीज को घर छोड़ने के लिये हमारे पास कोई व्यवस्था नहीं है.

बरहरवा : कोरोना महामारी फैलने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की कुव्यवस्था भी उजागर हो रही है. पहले जहां कोरोना को मात देनेवालों पर पुष्पवर्षा कर विदाई दी जाती थी. घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था होती थी, मगर अब सारी व्यवस्था गायब है. साहिबगंज स्वास्थ्य विभाग ने तो हद कर दी. 65 साल की वृद्धा को कोविड अस्पताल से रिलीज करने के बाद खुद घर जाने के लिए कह दिया.

उस महिला के पास अपना घर बरहरवा तक जाने के लिए पैसे भी नहीं थे. महिला को घर पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा. बावजूद उसकी भलमनसाहत देखिए, घर पहुंच कर चुप बैठ गयी. दो दिन बाद उसी मुहल्ले के दूसरे व्यक्ति जब कोविड सेंटर से निकल कर उनका हाल चाल जाना तो मामले का खुलासा हुआ.

22 जुलाई को लायी गयी थी कोविड अस्पताल : जानकारी के अनुसार, बरहरवा पतना चौक की एक 65 वर्षीय महिला विमला मंडल उर्फ मरांडी कोरोना पॉजिटिव पायी गयी थी. स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें 22 जुलाई को रेस्क्यू कर कोविड अस्पताल पहुंचाया था. कोरोना को मात देकर आने वाली महिला विमला ने बताया कि 22 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग की टीम साहिबगंज ले गयी थी. 24 जुलाई को उनकी भर्ती अस्पताल में दिखाया गया. कुछ दिन बाद जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद 2 अगस्त की रात में उसे डिस्चार्ज किया गया.

तीन अगस्त की सुबह वह कोविड अस्पताल के बाहर निकली. गेट के बाहर न तो घर जाने के लिये एंबुलेंस थी और न कोई प्राइवेट वाहन. महिला ने बताया कि उनके पास पैसे भी नहीं थे कि वह भाड़े के वाहन से साहिबगंज कोविड अस्पताल से अपने घर बरहरवा आ सके. वहां मौजूद कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि घर जाने के लिये हमलोगों के पास कोई व्यवस्था नहीं है. इसके बाद विमला ने पैदल ही सफर शुरू किया. साहिबगंज से राजमहल तक 40 किलोमीटर पैदल आने के बाद अपनी आपबीती कुछ लोगों को सुनायी तो लोगों ने उसकी मदद की और तब वह घर पहुंची.

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