सिंगल वीड होने के चलते दूसरी बार भी स्थगित हुआ अंतर्राज्यीय फेरी घाट की बंदोबस्ती
-टेंडर प्रक्रिया में केवल नाव यातायात सहयोग समिति ही हुआ था शामिल, पिछली बार 20 जून को स्थगित हुआ था टेंडर
साहिबगंज. सिंगल वीड में टेंडर होने के चलते 8 जुलाई को होने वाले साहिबगंज-मनिहारी अंतर्राज्यीय फेरी घाट की बंदोबस्ती की प्रक्रिया अगले आदेश तक के लिए लगातार दूसरी बार स्थगित कर दिया गया. इसके पहले सिंगल वीड होने के चलते 20 जून को भी टेंडर की प्रक्रिया स्थगित की गयी थी. वहीं पहली बार 22 मार्च को भी बंदोबस्ती की प्रक्रिया चुनावी अचार संहिता के चलते स्थगित की गयी थी. दरअसल रोटेशन सिस्टम के तहत इस बार 2 वर्षों के लिए फेरी घाट की बंदोबस्ती झारखंड के साहिबगंज जिला प्रशासन द्वारा किया जाना है. बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए पहले 14 मार्च को इसका अखबारों में विज्ञापन का प्रकाशन किया गया था. इधर कुछ दिनों पूर्व जुलाई को होने वाली टेंडर के लिए भी जिला प्रशासन की ओर से निकले गये विज्ञापन के आधार पर फेरी घाट की बंदोबस्ती को लेकर निविदा आमंत्रित किया था. इसके तहत वंदोबस्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए के लिए 9,79,80,000 रुपये प्रति वर्ष की सुरक्षित राशि निर्धारित की गयी थी. डाक में शामिल होने के लिए डाक वक्ताओं को डाक की प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व सुरक्षित राशि का 25 प्रतिशत राशि के अलावे कागजात समेत कम से कम 100 से 150 यात्रियों की क्षमता वाले दो यात्री एवं छोटे-बड़े वाहनों को ढोने की क्षमता वाले दो मालवाहक जहाजों की उपलब्धता होना अनिवार्य रखा गया था. एनआइटी की शर्तों के अनुसार टेंडर में नाव यातायात सहयोग समिति को प्राथमिकता दिया जाना है. वहीं टेंडर में भाग लेने के लिए केवल नाव यातायात सहयोग समिति द्वारा ही कागजात जमा किया गया था. ऐसे में सिंगल वीड होने के चलते लगातार दूसरी बार इस प्रक्रिया को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया.अपर समाहर्ता राज महेश्वरम ने बताया कि सिंगल वीड होने के चलते टेंडर प्रक्रिया को स्थगित करते हुए संथाल परगना के कमिश्नर को आगे के मार्गदर्शन के लिए लिखा जाएगा. वहीं सिंगल वीड में शामिल हुए नाव यातायात सहयोग समिति ने प्रशासन के टेंडर समिति के समक्ष यह बात कही कि बाढ़ होने के चलते हर साल बिहार सरकार के प्रशासन की ओर से साल में तीन माह तक जहाज का परिचालन को बंद कर दिया आता है, जबकि उन तीन माह का पूरा राजस्व उन लोगों को जमा करना पड़ता है. इस समिति को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण करने के साथ ही उन लोगों को सालों भर जहां चलाने की अनुमति दी जाये, ताकि नुकसान उठाना नहीं पड़े. फिर से रिटेंडर होगा.
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