मंडरो. प्रथमवर्गीय पशु चिकित्सालय मिर्जाचौकी को 11 वर्षों के बाद भी अपना भवन नहीं मिल पाया है. इस कारण भाड़े के मकान में पशु चिकित्सालय को चलाना विवशता है. यह चिकित्सालय में 3600 रुपये पर महीना व 43,200 रुपये सालाना में चल रहा है. मंडरो प्रखंड क्षेत्र में दो पशु चिकित्सालय है. पहला मिर्जाचौकी में तो दूसरा मंडरो प्रखंड मुख्यालय के पीछे अपना सरकारी भवन में संचालित है. मंडरो के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मुरलीधर दिनकर का कहना है कि हमारे यहां सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध है. वहीं मिर्जाचौकी पशु चिकित्सालय केंद्र की बात करें तो यह चिकित्सालय एक डॉक्टर और एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के भरोसे संचालित है. यहां पर अभी भी दो पद रिक्त हैं, जिसमें एक पशुधन सहायक तो दूसरा प्रावैधिक सहायक. इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं पशु चिकित्सा, बंध्याकरण, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान का कार्य मंडरो पशु चिकित्सालय के माध्यम से मिल पाता है. सप्ताह में एक दिन बंद रहने के बाद भी पशुपालकों मिलती है सुविधाएं प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय केंद्र मिर्जाचौकी सप्ताह में रविवार को बंद रहता है. इसके बाद भी प्रत्येक दिन पशु लेकर आने वाले लोगों को पशु चिकित्सा का लाभ मिला है. इस अस्पताल में पशु लेकर आने वाले लोगों को 5 रुपये का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. बड़ा जानवर 2 रुपये और छोटा जानवर को एक रुपये में रजिस्ट्रेशन किया जाता है. बीमारी के अनुसार पशु का इलाज किया जाता है. 3375 पशुओं को मिला चिकित्सा का लाभ, 27000 और है टारगेट पशु चिकित्सालय केंद्र मिर्जाचौकी में 2024 में कुल 3375 पशुओं का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है, जिसमें बंध्याकरण 602 एवं 21 हजार पशुओं का टीकाकरण शामिल है. मंडरो प्रखंड के दोनों पशु चिकित्सालय में खुराम बीमारी का टीकाकरण लगभग 45 हजार किया गया है. क्षेत्र में यह कार्य जारी है. अभी और 27 हजार टारगेट है, जिसे अक्तूबर तक पूर्ण करने का निर्देश प्राप्त है. क्या है पशु चिकित्सा पदाधिकारी का कार्य पशु चिकित्सा अस्पताल ऐसा अस्पताल हैं जहां पशुओं, पालतू जानवरों, छोटे जानवरों और पक्षियों का दैनिक उपचार, टीकाकरण, अकृत्रिम गर्भाधान, शल्य चिकित्सा आदि की सुविधाएं मिलती है. एक पशु चिकित्सा अधिकारी जानवरों में पाए जाने वाले रोगों की निगरानी करता है. इन बीमारियों को फैलने से रोकने का तरीका विकसित करता है. वेटनरी साइंस या पशु चिकित्सा विज्ञान, यह साइंस पशु और पक्षियों में अलग-अलग तरह की बीमारियों को पहचानने और उसके ट्रीटमेंट से जुड़ा है. इस फील्ड में वेटनरी डॉक्टर को पशु और पक्षियों की पूरी देखभाल करनी पड़ती है. कहते हैं पशु चिकित्सा पदाधिकारी मिर्जाचौकी पशु चिकित्सालय केंद्र को अपना भवन नहीं होने के कारण भाडे के मकान में ही संचालित किया जा रहा है. इससे काफी परेशानी होती है. इस अस्पताल का भी अपना भवन हो सके इसके लिए स्थल का चयन भी किया गया था, लेकिन अभी तक पहल जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है. -डॉ संतोष कुमार, पशु चिकित्सा पदाधिकारी, मिर्जाचौकी
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