जिले में मनरेगा का हाल बेहाल, मैटेरियल मद में 969.47 लाख रुपये है बकाया
, मजदूरी मद में भी लोगों को नहीं हो पा रहा भुगतान
बरहरवा. जिले में मनरेगा का हाल बेहाल है. जिले के सभी नौ प्रखंडों को मिलाकर मैटेरियल मद में करीब 969.47 लाख रुपये का बकाया हो गया है. इससे मनरेगा का काम कराने वाले वेंडरों को भी परेशानी हो रही है. नये साल के आगमन में महज कुछ ही दिन शेष रह गये हैं. ऐसे में लोगों को अपने परिवार संग नये साल में कहीं घूमने, पिकनिक मनाने एवं खरीदारी करने की आस रहती है. लेकिन, लगता है कि उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. इसके साथ ही मनरेगा की मजदूरी मद में भी करीब 66 लाख रुपये बकाया है. इससे मनरेगा का काम करने वाले मजदूर भी दूसरे काम की तलाश में हैं. इस क्षेत्र के लोगों को प्रतिदिन काम करके दिहाड़ी मजदूरी की जरूरत होती है. जिसके मिलने के बाद वे घर के जरूरी सामानों की खरीदारी करते हैं. इधर, योजना के वेंडर भी मैटेरियल की आपूर्ति करने में हिचकिचा रहे हैं. ऐसे में सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को धरातल पर उतारे जाने में विलंब हो सकता है. मनरेगा के वेंडर बताते हैं कि योजना का काम करवाने में उनकी मूल पूंजी फंसी हुई है, पूंजी के साथ-साथ मुनाफा भी नहीं मिल रहा है. वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में 21 दिसंबर तक 1022.89 लाख रुपये मनरेगा के मैटेरियल मद में भुगतान किया जा चुका है. वहीं, इस वित्तीय वर्ष में अब तक नौ प्रखंडों में मैटेरियल मद में सबसे अधिक बकाया बरहरवा प्रखंड का 576.59 लाख रुपये है, तो वहीं सबसे कम साहिबगंज प्रखंड का 1.76 लाख रुपये बकाया है. मनरेगा योजना से प्रखंडों में चल रहे हैं विभिन्न कार्य जिले के विभिन्न प्रखंडों में मनरेगा के तहत सूखा निरोधन, बाढ़ नियंत्रण एवं सरंक्षण, लैंड डेवलपमेंट, सूक्ष्म सिंचाई कार्य, पारंपरिक जल निकायों के नवीनीकरण, ग्रामीण कंटेक्टीविटी, ग्रामीण स्वच्छता, जल संरक्षण एवं जल संचयन सहित अन्य करीब 23,363 योजनाएं चल रही है. कई योजनाओं का कार्य पूरा भी हो चुका है. कहते हैं पदाधिकारी साहिबगंज उप विकास आयुक्त सतीश चंद्रा ने बताया कि मनरेगा मद के मैटेरियल मद का भुगतान राज्य द्वारा ही किया जाता है. भुगतान के बारे में एक दिन पहले ही पता चला है.
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