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जिले में सिर्फ नौ चालकों के भरोसे है जिले की पुलिस व्यवस्था का चक्का

वाहनों की कमी व जर्जर स्थिति से जूझ रहा पुलिस महकमा] सभी थानों में निजी चालकों से लिया जा रहा काम

साहिबगंज. जिले भर के कई थानों में चारपहिया वाहनों की कमी है. इससे पुलिस पदाधिकारियों को पेट्रोलिंग व अनुसंधान करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नतीजा यह होता है कि कभी-कभी वाहन के इंतजार में घटनास्थल पर पहुंचने में भी देर हो जाती है. फिलहाल जिले के विभिन्न थानों में जो वाहन हैं उनमें कई की स्थिति जर्जर है. कुछ की हालत ऐसी है कि काफी खर्च करने के बाद वह चलने की उम्मीद पर खरा नहीं उतरेगा. कुछ तो बिल्कुल ही खराब अवस्था में पड़े हैं जो शायद नहीं बन सकते. अगर उनकी मरम्मत भी जाए तो काफी रकम खर्च हो सकते हैं. वहीं कई वाहन अच्छी स्थिति में भी है जिससे थाने का काम लिया जा रहा है. बताते चले कि फिलहाल जिले भर के पुलिस पदाधिकारियों के पास 96 चारपहिया वहन है, जिनमें से चार वाहन बिल्कुल ही खराब पड़े है. जिले में 37 दोपहिया वाहन है जो कि थाने के साथ साथ टाइगर मोबाइल, अपराध शाखा, अभियोजन कोषांग, सीसीटीएनएस व एसटीएससी थाने को दिये गये हैं. वाहनों की कमी व अभाव में जिले के कई थाना प्रभारी निजी वाहन से अपना काम चला रहे हैं. निजी वाहनों में निजी चालकों को रखा है. पीसीआर वैन की भी स्थिति है गड़बड़ 12 वर्ष पूर्व जिले के सभी थानों में नये चार चक्का वाहन दिए गए थे. इसके बाद एक भी नये वाहन थानों को नहीं मिला है. इसके पूर्व के वाहनों को 15 साल के बाद उनके रजिस्ट्रेशन को पुनः तीन साल बढ़कर काम चलाया जा रहा है. पूर्व में दिये गये वाहनों की स्थिति बहुत खराब हो रहा है. बीते कुछ दिनों में कई थानों में खड़ी पीसीआर वैन इन दिनों चरमराई दिखाई दे रही है. कुछ थानों में पीसीआर ठीक-ठाक चल रहे हैं, लेकिन कुछ पीसीआर वैन को सर्विसिंग की जरूरत है. सूत्र बताते हैं कि कई थानों में महीनों खड़ा रहने के बाद भी पीसीआर पर पेट्रोलिंग नहीं करते कही रास्ते में ही न बंद हो जाय. कई थानेदार रखते हैं बाहरी वाहन व निजी चालक वाहनों की कमी के कारण जिले कई थानेदार ऐसे हैं जो बाहर से वाहनों को किराये पर लिया हुआ है या फिर अपने निजी वाहन से ही काम चला रहे है. इस कारण उन्हें बाहरी चालक भी रखना पड़ता है. क्योंकि थाने में वाहनों की कमी क्यों न हो लेकिन काम का निबटारा तो समय पर करना ही होगा. इस कारण तकरीबन जिले के कई थानों में एक से दो निजी चालकों को भी रखा गया है. नौ चालकों के भरोसे है पुलिस व्यवस्था की चक्का जिले भर में निर्धारित चालकों के सीटों का आकलन करें तो मात्र पूरे जिले में 14 चालकों को ही नियुक्त करने का आदेश है. इनमें से सिर्फ नौ चालक ही सुचारू रूप से कार्यरत हैं. पांच चालकों के स्थान अभी तक रिक्त पड़े हैं. इसमें किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई. सवाल यह है कि पूरे जिले भर मात्र नौ चालकों के भरोसे आखिर पुलिस व्यवस्था का चक्का कैसे चलाया जा सकता है. जाहिर सी बात है कि चालकों की कमी के कारण पुलिस पदाधिकारी को अपने निजी चालक रखना मजबूरी व परेशानी दोनों समझ रहे हैं. क्या यह कहते हैं प्रचारी प्रवर संबंधित विभाग के पास इसकी जानकारी है. वाहनों की स्थिति के बारे में विभाग पहल कर रहा है. जिले भर में नये वाहनों को लाने का प्रयास बहुत जल्द पूरा किया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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