सीनी. आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनन्दमूर्ति का 103वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला-खरसावां की ओर से आनन्द मार्ग आश्रम कांड्रा में जन्मोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर “गुरु के दिये आनन्दवाणी का पाठ, 50 नारायणों के बीच साड़ी-धोती का वितरण किया गया. कार्यक्रम के अंत में प्रसाद वितरण व मिलित आनन्द भोज का आयोजन किया गया. मौके पर भुक्ति प्रधान गोपाल बर्मन ने उपस्थित भक्तों को कहा कि वैशाखी पूर्णिमा के दिन गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति का जन्म 1921 में वैशाखी पूर्णिमा के दिन बिहार के जमालपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था. परिवार का दायित्व निभाते हुए वे सामाजिक समस्याओं के कारण का विश्लेषण व निदान ढूंढने में और लोगों को योग साधना आदि की शिक्षा देने में अपना समय देने लगे. सन् 1955 में उन्होंने आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना बिहार के जमालपुर में किया. आनन्द मार्ग को उद्देश्य आत्म मोक्षार्थम जग हिताय च. वर्तमान समय में पूंजीवाद व साम्यवाद मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान करने में असफल है. गुरु जी ने समझा कि जिस जीवन मूल्य भौतिकवाद को वर्तमान मानव अपना रहे हैं. उनके शारीरिक व मानसिक और ना आत्मिक विकास के लिए उपयुक्त है. उन्होंने ऐसे समाज की स्थापना का संकल्प लिया, जिसमें हर व्यक्ति को अपने सर्वांगीण विकास करते हुए अपने मूल्य को ऊपर उठाने का सुयोग प्राप्त हो. उन्होंने कहा कि हर मनुष्य को शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में विकसित होने का अधिकार और समाज का कर्तव्य है.
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