खरसावां : तीन सदियों से हो रही है मां दुर्गा की पूजा
खरसावां : खरसावां सरकारी दुर्गा मंदिर में माता भगवती की पूजा अब भी उसी सादगी के साथ होती है, जैसा कि पूर्व में राजा राजवाड़े के समय में होता था. यहां बीत तीन सदियों से निर्बाध रूप से माता की पूजा होते आ रही है. आज तामझाम की दुनिया में भी माता की पूजा पहले […]
खरसावां : खरसावां सरकारी दुर्गा मंदिर में माता भगवती की पूजा अब भी उसी सादगी के साथ होती है, जैसा कि पूर्व में राजा राजवाड़े के समय में होता था. यहां बीत तीन सदियों से निर्बाध रूप से माता की पूजा होते आ रही है. आज तामझाम की दुनिया में भी माता की पूजा पहले की तरह सादगी के साथ होता है. पूजा के दौरान रियासत काल से चली आ रही हर परंपरा को निभाया जाता है. पूर्व में इस पूजा का आयोजन राज कोषागार से किया जाता था तथा वर्तमान में सरकारी खर्च पर होता है.
1667 में सरायकेला रियासत के ठाकुर पद्मनाभ द्वारा खरसावां रियासत की स्थापना करने के कुछ वर्ष बाद ही यहां दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू हुआ. खरसावां रियासत के कुल 13 शासकों ने यहां मां दुर्गा के पूजा अर्चना को जारी रखा. 1947 में भारत के आजादी के बाद जब खरसावां रियासत का विलय भारत गणराज्य में हुआ तो खरसावां रियासत के तत्कालीन राजा श्रीराम चंद्र सिंहदेव ने बिहार सरकार के साथ मर्जर एग्रीमेंट कर खरसावां के हर वर्ष दुर्गा पूजा के आयोजन की जिम्मेवारी सरकार को सौंप दी.
तभी से यहां दुर्गा पूजा का आयोजन स्थानीय जनता के सहयोग से सरकारी खर्च पर होता है. बिहार के समय में दुर्गा पूजा के लिये काफी कम राशि मिलती थी. झारखंड बनने के बाद राशि में बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ष दुर्गा पूजा के लिये सरकारी फंड से 85 हजार रुपये खर्च होंगे. माता की पूजा तांत्रिक विधि से होती है.