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खरसावां गोलीकांड का चश्मदीद गवाह मांगु सोय का निधन

खरसावां: जनवरी 1948 खरसावां गोलीकांड का चश्मदीद गवार मांगु सोय का रविवार को निधन हो गया वे लगभग 105 वर्ष के थे. मृत्तक के पुत्र शंकर सोय ने बताया कि सुबह में नाश्ता का समय था जब नाश्ता करने के लिए उठाने लगे तो वे बेहोश हो गये थे. बेहोश देख कर उन्हें तुरंत सरायकेला […]

खरसावां: जनवरी 1948 खरसावां गोलीकांड का चश्मदीद गवार मांगु सोय का रविवार को निधन हो गया वे लगभग 105 वर्ष के थे. मृत्तक के पुत्र शंकर सोय ने बताया कि सुबह में नाश्ता का समय था जब नाश्ता करने के लिए उठाने लगे तो वे बेहोश हो गये थे. बेहोश देख कर उन्हें तुरंत सरायकेला सदर अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया. उन्होंने बताया कि उन्हें कफ की शिकायत थी जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती थी. आंदोलनकारी मांगु सोय के निधन की खबर पर पुर्व मुखिया गणेश गागराई उनके घर पहुंचे व संवेदना प्रकट किया. शंकर सोय ने बताया कि स्व मांगु सोय को पैतृक गांव हेंसा में ही आदिवासी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा.

खरसावां गोलीकांड की कहानी याद थी जुबानी

मांगु सोय को खरसावां गोली कांड की कहानी पूरी तरह जुबानी याद थी. गोलीकांड कैसे हुआ, कैसे लाशें बिछती गयीं सब उन्हें याद था. खरसावां गोलीकांड आंदोलन में शामिल रहे स्व सोय को जीवित रहते न तो आंदोलनकारी का कोई पहचान पत्र मिला और न ही किसी प्रकार की सुविधा मिली थी. सम्मान के नाम पर एक जनवरी शहीद दिवस पर चार-पांच वर्ष पूर्व कंबल मिला था. मृत आंदोलनकारी के पुत्र शंकर सोय जीवन भर अपने पिता को किसी तरह का सम्मान या पहचान पत्र नहीं मिलने से खफा हैं.

आयोग के सदस्य पहुंचे थे उनके घर

मांगु सोय की पहचान करने के लिए वर्ष 2012 में आयोग के तत्कालीन सदस्य सुधीर महतो व लक्ष्मण टुडु हेंसा गांव आये थे और आंदोलनकारी मांगु से जानकारी हासिल किया था. आयोग द्वारा पहचान करने के बावजूद सरकारी स्तर से किसी प्रकार का उन्हें पहचान पत्र तक नहीं मिला था.

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