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घर के बहार ओड़िया में नाम लिखेंगे ओड़ियाभाषी परिवार

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By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2018 4:38 AM

सरायकेला के ओड़िया भाषियों ने बैठक कर लिये कई निर्णय

ओड़िया संस्कृति को खत्म करने की चल रही साजिश : कार्तिक
सरायकेला : स्थानीय गोपबंधु चौक में अधिवक्ता काशीनाथ साहू की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में सरायकेला से ओड़िया संस्कृति को खत्म करने तथा उससे जुड़े लोगों का रोजगार उजाड़ने की नीति अपनाये जाने का आरोप लगाया गया. बैठक में कहा गया कि ओड़िशा राज्य के साथ संबंध, उसकी भाषा-संस्कृति, ओड़िया जनमानस के आर्थिक उत्थान को लेकर 18 मई 1948 को सरायकेला को ओड़िशा से अलग कर बिहार में मिलाया गया था. यह व्यवस्था केवल एक वर्ष के लिए की गयी थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
बैठक में क्षेत्र के राजा के समय से चल रहे ओड़िया स्कूलों के विलय पर भी चर्चा हुई तथा इस संबंध में राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का निर्णय लिया गया. बैठक की जानकारी देते हुए कार्तिक परीच्छा ने कहा कि ओड़िया यहां अल्पसंख्यक हैं तथा किसी अल्पसंख्यक स्कूल को सरकार आंख मुदकर बंद नहीं कर सकती. सरकार को ऐसा करने से पहले सरायकेला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करना चाहिए. बैठक में नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज चौधरी से हर घर के सामने ओड़िया में नेम प्लेट लगाने का आग्रह किया गया. नपं अध्यक्ष के प्रतिनिधि से सभी शहर के सभी सरकारी कार्यालयों में ओड़िया में कार्यालय का नाम लिखने की मांग भी की गयी,
ताकि लोग ओड़िया में पढ़ सकें. बैठक मे सर्वसम्मति से हर घर पर ओड़िया भाषा में बोर्ड लिखवाने, ओड़िया संस्कृति, नाटक, छऊ नृत्य आदि को संरक्षण देने एवं ओड़िया युवकों को रोजगार के लिए जागरूक करने आदि सहित अनेक निर्णय लिये गये. बैठक में आल्हाद मोहंती, गोपबंधु आचार्य, राजा ज्योतिषी, काशी कर, अरुण कु साहू, मनोज पति, गणेश महतो उपस्थित थे.

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