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राशि के अभाव में धरातल पर नहीं उतर सका ”ग्रीन इंडिया मिशन”

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By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2018 5:28 AM

सरकार के पास 44.36 करोड़ का डीपीआर तैयार, आवंटन मिलते ही शुरू होगा काम

खरसावां : वनों को हरा-भरा कर संरक्षित करने लिए सरायकेला प्रमंडल की ओर से खरसावां वन क्षेत्र को ग्रीन इंडिया मिशन के लिये चयन किया गया था. लेकिन दो साल बाद भी राशि के अभाव में ‘ग्रीन इंडिया मिशन’ धरातल पर नहीं उतर पाया है. तीन साल के इस प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 में विस्तृत प्लान तैयार किया गया था. जिला स्तर पर स्वीकृति के बाद राशि आवंटन के लिए सरकार को भेज दिया गया था. केंद्र सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने करीब 44.36 करोड़ का डीपीआर तैयार कर सरकार को भेजा गया. लेकिन अब तक इस योजना के लिए केंद्र सरकार से राशि आवंटित नहीं हुई है. आवंटन के अभाव में इस मिशन पर कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है.
वन विभाग की ओर से आवंटन मिलने के साथ ही इस पर कार्य शुरू करने की बात कही गयी है. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना के लिए कोल्हान में सिर्फ खरसावां वन क्षेत्र का ही चयन किया गया है, जबकि राज्य में कुल पांच वन क्षेत्रों में इस मिशन का क्रियान्वयन किया जाना है. केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत खरसावां वन क्षेत्र में जंगल के आस-पास बसे 18 गांवों का चयन किया गया है.
ग्रीन इंडिया मिशन के लिये चयनित गांव
ग्रीन इंडिया मिशन के लिये खरसावां वन क्षेत्र के इन 18 गांवों का चयन किया गया है. प्रस्ताव में संतारी, चिलकू, बनगांव, बंदीराम, खिलाड़ीसाई, जीतपुर, हरिभंजा, पुदीदाहा, सारंग, रामगढ़, बुर्जीडीह, टोंकोडीह, नारायणबेड़ा, दिरोम, रायडीह, काशीडीह, बीटाबुरू व कोंडाडीह गांव शामिल हैं.
डीपीआर स्वीकृत कर केंद्र सरकार के पास भेज दिया है. आवंटन नहीं मिलने के कारण काम आगे नहीं बढ़ पाया है. आवंटन मिलने पर कार्य शुरू होगा. इस योजना के तहत वनों पर दबाव कम करना है. वन क्षेत्र में जल संरक्षण पर जोर देना है. योजना के तहत लोगों के सामने जीने के अन्य वैकल्पिक संसाधनों को विकसित करना है.
-ए एक्का, वन प्रमंडल पदाधिकारी, सरायकेला वन प्रमंडल
सरकार से राशि मिलने के साथ ही ग्रीन इंडिया मिशन पर कार्य शुरू हो जायेगा. यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना से खरसावां वन क्षेत्र के 18 गांवों के साथ-साथ आस-पास के वन क्षेत्र को काफी लाभ पहुंचेगा. जंगल पर दबाव कम होगा. इससे जंगल हरा-भरा बना रहेगा.
-केके साह, वन क्षेत्र पदाधिकारी, खरसावां
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