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असली सरकार रांची व दिल्ली में बैठे लोग नहीं, बल्कि गांव के लोग हैं : सुदेश महतो

शचिंद्र दाश/प्रताप मिश्रा सरायकेला : आजसु सुप्रीमो सह पुर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने अपने स्वराज स्वाभीमान यात्रा के दूसरे चरण में बुधवार को राजनगर पहुंचे. इस दौरान विभिन्न गांवों में पद यात्रा करते हुए जन चौपाल लगाया. इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए आजसु सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि सरकार की कई […]

शचिंद्र दाश/प्रताप मिश्रा

सरायकेला : आजसु सुप्रीमो सह पुर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने अपने स्वराज स्वाभीमान यात्रा के दूसरे चरण में बुधवार को राजनगर पहुंचे. इस दौरान विभिन्न गांवों में पद यात्रा करते हुए जन चौपाल लगाया.
इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए आजसु सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलती हैं, लेकिन चौपाल आते-आते दम तोड देती हैं. इसलिए सत्ता का केंद्र दिल्ली व रांची नहीं बल्कि 32 हजार गांवों में इसका केंद्र बनाना लक्ष्य है.

स्वराज स्वाभियान यात्रा का उद्देश्य बताते हुए कहा कि झारखंड के लोगों को राज्य मिल गया, परंतु स्वराज नहीं मिला. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चिंतन व दर्शन का केंद्र गांव ही रहा है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा का मकसद यही है कि आम आदमी की आवाज और सवाल सियासत और सत्ता को सुनने -सुलझाने के लिये बाध्य करे.

भगवान बिरसा मुंडा ने भी आबुआ दिशुम, आबुआ राज की परिकल्पना की थी. स्वराज स्वाभियान यात्रा के तहत इसका आंकलन करने निकले हैं कि स्वराज के मुकाम पर हम और हमारा झारखंड राज्य कहां खड़ा है.

उन्होंने कहा कि देश के आजादी के 70 साल व झारखंड बनने के 17 साल बाद कई नेता, विधायक, सांसद व मंत्री बदले, परंतु गांव के लोगों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. स्वराज स्वाभिमान यात्रा वोट के लिये निकाला गया यात्रा नहीं है, बल्कि यह यात्रा झारखंडियों के स्वाभिमान के लिये निकाला जा रहा है.

गांव की समस्याएं जस की तस है. अब भी गांव में बुनियादी समस्याएं है. सुदेश ने कहा कि असली सरकार रांची व दिल्ली में बैठे लोग नहीं है, बल्कि गांव के लोग है. गांव की बेहतरी के लिये जो निर्णय गांव के चौपाल में होना चाहिये था, वह सेक्रेट्रिएट व कलेक्ट्रिएट में हो रहा है. यह झारखंड के लिये दुर्भाग्य की बात है.

* गांव आते-आते दमतोड़देती है विकास योजनाएं

पुर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि 1952 से लेकर आज तक देश एवं राज्य मे कई बार लोक सभा एवं विधानसभा चुनाव हुआ एवं सरकार बनी व योजनाएं भी बनायी गयी परंतु विकास योजनाएं गांव आते आते दम तोड़ देती है. गांव आज भी बूनियादी सुविधाओं से वंचित है. इसलिए गांवों में चौपाल की जरुरत है. इसलिए आज गांव-गांव में मेरे द्वारा चौपाल लगाया जा रहा है और गांवों में वास्तविकता का मुल्यांकन किया जा रहा है.

* वृद्धावस्था पेंशन व लाल पीला कार्ड में ही गांव है उलझा

पुर्व डिप्टी सीएम महतो ने कहा कि कई योजनाएं अस्सी के दशक से ही चल रही हैं. बावजूद गांव आज भी लाल एवं पीला कार्ड, आवास व वृद्धा पेंशन की समस्याओं में ही उलझा हुआ है. गांव के लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं के बराबर मिल रहा है.

योजना बंद कमरे में बन रही हैं. गांव के लोग इन समस्याओं के मकड़जाल में फंसे हुए हैं. पुर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि सड़क बनाने से पहले सोचना चाहिए कि जमीन का अधिग्रहण करना है तथा उस जमीन को लेने के एवज में भूमिमालिकों को रुपये का भुगतान भी करना है.

सरकार द्वारा डोभा बनाओ कह कर लोगों से डोभा बनवा दिया. मगर डोभा का कोई उपयोग ही नहीं हुआ. मछली पालन तक भी नहीं होता है. डोभा में पानी रहेगा तब तो मछली का पालन होगा. इस मौके पर जिला अध्यक्ष छवि महतो, नंदू पटेल, केन्द्रीय सचिव अनिल महतो, सत्यनारायण महतो, सचिन महतो, दिनेश हांसदा, दिलीप महतो, झींगी हेम्ब्रम समेत कई उपस्थित थे.

* राजनगर में इन गांवों से गुजरी स्वराज स्वाभिमान यात्रा

आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने राजनगर स्थित सिदो – कान्हु एवं सहदेव महतो के मुर्ति पर माल्यार्पण किया. माल्यापर्ण करने के पश्चात प्रखंड क्षेत्र के चक्रधरपुर (मुनीडीह) , नेटो , चांगुवा , गेंगेरुली होते हुए स्वाभीमान यात्रा एवं कुनाबेड़ा गांव पहुंची जहां जन चौपाल का आयोजन कर जनताओं से सीधे वार्त्ता करते हुए लोगों की समस्याओं से रू ब रू हुए. कुनाबेड़ा गांव मे संस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया.

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