सरायकेला में बोले सुदेश- जनता की आवाज बनकर उभरने लगी है स्वराज स्वाभिमान यात्रा
– अब चुप नहीं बैठेगा गांव और आम आदमी – यात्रा का मकसद लोगों की ताकत बनना और झारखंडी विचारधारा को स्थापित करना – सत्ता के विकेंद्रीकरण को हकीकत में बदलना में बदलना है सचिन्द्र कुमार दाश@सरायकेला सरायकेला-खरसावां व पश्चिम सिंहभूम जिला में स्वराज स्वाभिमान यात्रा का दूसरा चरण पूरा करने के बाद आजसू पार्टी […]
– अब चुप नहीं बैठेगा गांव और आम आदमी
– यात्रा का मकसद लोगों की ताकत बनना और झारखंडी विचारधारा को स्थापित करना
– सत्ता के विकेंद्रीकरण को हकीकत में बदलना में बदलना है
सचिन्द्र कुमार दाश@सरायकेला
सरायकेला-खरसावां व पश्चिम सिंहभूम जिला में स्वराज स्वाभिमान यात्रा का दूसरा चरण पूरा करने के बाद आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि अब गांव और आम आदमी चुप नहीं बैठेगा. सत्ता, सियासत और सिस्टम से गांव भी आंखें मिला कर हक और अधिकार पर बात करेगी. स्वराज स्वाभिमान यात्रा आम लोगों के बीच आवाज बनकर उभरने लगी है.
श्री महतो ने कहा कि वे राज्य के पांच हजार गांवों में जायेंगे और लोगों का मन मिजाज पढ़ने समझने के साथ अपनी बात रखने का काम करेंगे. एक बार फिर इस बात पर उन्होंने जोर दिया कि यात्रा का मकसद बिल्कुल साफ है, लोगों की ताकत बनना और झारखंडी विचारधारा को स्थापित करते हुए जनता के विषयों और सवालों के समाधान के लिए रास्ते निकालना. सत्ता के विकेंद्रीकरण को हकीकत में बदलना.
उन्होंने कहा है कि झारखंड के पंचायत प्रतिनिधियों, मानदेय पर सालों ये खट रहे संविदाकर्मी, आंगनबाड़ी सेविका, सहिया, स्वयं सहायता समूह, गांवों-कस्बों के खिलाड़ी, युवा, स्कूली बच्चे, जमीन ले जुड़े स्थानीय कलाकार, बुद्धिजीवी, गांव के प्रतिष्ठत पर्वार इन तमाम वर्ग के पास विचार है, सोच है, लेकिन कभी उन्हें सुना नहीं गया और सुना भी गया तो शासन, राजनीति, वोट के हिसाब से.
यात्रा के दौरान इन वर्ग के साथ उनकी बातचीत का सिलसिला जारी है, और यह झारखंड में बदलाव का सकारात्मक वातावरण बनायेगा यह उम्मीदें हैं. इस यात्रा चौपाल में बड़ी तादाद में आम लोगों की भागीदारी इसके संकेत हैं कि गोलबंदी का दायरा बढ़ने लगा है. उन्होंने यात्रा के अनुभवों के बारे में बताया कि लोग चाहते हैं कि गांव, पंचायत के फैसले और समस्याओं पर सरकार और उसके तंत्र के अलावा वोट लेकर चुनाव जीतने वालों से खुलकर बातें की जा सके.
वे पूछना भी चाहते हैं कि क्या उनके हिस्से में सिर्फ वोट देने का अधिकार है, लेकिन सरकारी तंत्र और राजनीति ने प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर दूरियां और हैसियत की लकीर इस तरीके से खींच रखी है कि आम आदमी उसे लांघने की हिमाकत नहीं करता. स्वराज स्वाभिमान यात्रा इस लकीर की सच लोगों को बताते हुए आगे बढ़ रही है. यात्रा के जरिए जिन विषयों को उठाया जा रहा है वह लोगों में विश्वास बढ़ा रहा है. और बोलने का साहस भी. यही वजह है कि इसके मायने निकाले जाने लगे हैं.
मालूम हो की सुदेश महतो ने 27 अक्टूबर को खरसावां शहीद स्थल से श्रधांजलि देते हुए दूसरे चरण की स्वराज स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत की थी जो दो नवंबर को पूरी की गयी. दूसरे चरण में वे खरसांवा, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, सरायकेला, इचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के 134 गांवों से गुजरे और 92 किलोमीटर की पदयात्रा की. इस दौरान 56 जगहों पर सभा और चौपाल में साझा संवाद किया.