खरसावां : कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार को, होंगे कई धार्मिक अनुष्ठान
– तुलसी मंडप व घरों के सामने रंगोली बना कर होगी राय दामोदर की पूजा – पूजा अर्चना को मंदिरों में जुटेगी श्रद्धालुओं की भीड़ शचिंद्र कुमार दाश@खरसावां पवित्र कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर शुक्रवार को सरायकेला खरसावां जिला में विभिन्न क्षेत्रों में कई धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जायेगा. यूं तो गुरुवार दोपहर से […]
– तुलसी मंडप व घरों के सामने रंगोली बना कर होगी राय दामोदर की पूजा
– पूजा अर्चना को मंदिरों में जुटेगी श्रद्धालुओं की भीड़
शचिंद्र कुमार दाश@खरसावां
पवित्र कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर शुक्रवार को सरायकेला खरसावां जिला में विभिन्न क्षेत्रों में कई धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जायेगा. यूं तो गुरुवार दोपहर से ही पूर्णिमा की तिथि शुरू हो गयी है, परंतु खरसावां में सभी धार्मिक अनुष्ठान शुक्रवार को सूर्योदय के बाद शुरू होगी. शुक्रवार को पांच दिवसीय विष्णु पंचक का समापन भी होगा.
मौके पर सूर्योदय पूर्व नदियों में पवित्र स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना की जायेगी. खास कर श्रीकृष्ण मंदिर, जगन्नाथ मंदिर व हरि मंदिर में भक्तों का समागम लगेगा. जरूरतमंदों में दान किया जायेगा. सरायकेला के दुगनी व राजनगर के कृष्णापुर में रास पूर्णिमा पर राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जायेगी.
खरसावां के फॉरेस्ट कॉलोनी स्थित शिव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया है. इस मौके पर लोगों में सामूहिक रूप से प्रसाद वितरण किया जायेगा.
ओड़िया समाज का बोईतो बंदणा उत्सव
कार्तिक पूर्णिमा को ओड़िया समुदाय का सबसे पवित्र व पुण्य दिन माना जाता है. ओड़िया समाज के लोग कार्तिक पूर्णिमा को बईतो बंदणा उत्सव के रूप में मनाते है. शुक्रवार को सूर्योदय पूर्व ब्रम्ह मुहूर्त में ओड़िया समुदाय के लोग नदी शरोबर में स्नान कर केला के पेड़ के छिलके से तैयार किये गये नाव छोडेंगे.
इसके पश्चात तुलसी के पौधा के सामने रंगोली बना कर राय-दामोदर की पूजा अर्चना करेंगे. ओड़िया समुदाय की वर्षो पुरानी यह संस्कृति अब भी चली आ रही है. इधर कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर प्रभु जगन्नाथ के दर्शनार्थ बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरुवार को ओड़िशा के जगन्नाथपुरी के लिए भी रवाना हो गये है. पुरी में कर्तिक पूर्णिमा पर स्नान को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
हर अनुष्ठान होता है ईश्वर को स्वीकार
एक किंबदंती के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर किये जाने वाला हर धार्मिक अनुष्ठान ईश्वर को स्वीकार होता है. विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से काम, क्रोध, लोभ पर नियंत्रण होता है. भगवान सत्यनारायण की पूजा से प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. देव दीपावली के इस त्योहार पर दीप दान करने से भय से मुक्ति मिलती है. सूर्य की आराधना से ऐश्वर्य व देवी शक्ति की आराधना से शांति की प्राप्ति होती है. इसमें स्नान, दान, होम, यज्ञ, उपासना आदि करने का अनन्त फल मिलता है.
क्या है कार्तिक पूर्णिमा की महत्ता
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सायंकाल भगवान का मत्स्यावतार हुआ था. वैदिक काल में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी हुआ था.