खरसावां में बोलीं राज्‍यपाल- बचपन में केला के पेड़ पर साधती थी निशाना

– मकर पर्व परगांव में होता था पारंपरिक तीर-धनुष खेल का आयोजन – तीरंदाजी खेल के प्रति बचपन से था लगाव शचिन्द्र कुमार दाश, खरसावां खरसावां के अर्जुना स्टेडियम में आयोजित 13वां राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने तीरंदाजी खेल के प्रति अपने लगाव को भी साझा किया. राज्यपाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 27, 2019 10:35 PM

– मकर पर्व परगांव में होता था पारंपरिक तीर-धनुष खेल का आयोजन

– तीरंदाजी खेल के प्रति बचपन से था लगाव

शचिन्द्र कुमार दाश, खरसावां

खरसावां के अर्जुना स्टेडियम में आयोजित 13वां राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने तीरंदाजी खेल के प्रति अपने लगाव को भी साझा किया. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बचपन में तीरंदाजी के क्षेत्र में उनका भी झुकाव रहा है. उस समय तीरंदाजी के बड़े प्रतियोगिता नहीं होते थे. गांव में तीर-धनुष के खेल होते थे. आदिवासियों का यह पारंपरिक खेल रहा है.

राज्यपाल के बताया कि मकर यंक्रांति के मौके पर उनके गांव (ओड़िशा के रायरंगपुर का एक गांव) में केला का पेड़ गाड़कर गांव के बच्चे निशाना साधते थे. इसमें सफल रहने वाले बच्चों को अच्छे पकवान खिलाये जाते थे. परंतु अब स्थिति बदली है. इसमें बड़े स्तर पर प्रतियोगितायें हो रही हैं. उसी के अनुरुप लगन के साथ कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा तीरंदाजी के खेल में बेहतर प्रदर्शन कर मान-सम्मान के साथ-साथ बेहतर भविष्य भी बनाया जा सकता है.

रणविजय के लिए आत्मविश्वास जरूरी : मीरा मुंडा

जिला तीरंदाजी संघ की अध्यक्ष मीरा मुंडा ने कहा कि रणविजय वही बनता है, जिसके पास आत्मविश्वास है. झारखंड व खरसावां की मिट्टी की महक दुनिया तक पहुंच चुकी है. आर्चरी उच्ची उड़ान भरते हैं, बहुत सारे खिलाड़ी ओलंपिक में गोल्ड लेकर आये हैं. कहा, झारखंड का नाम तीरंदाजी से न केवल अब बल्कि सदियों से जुड़ा रहा है. एक छोटे से मैदान से शुरू किया गया आर्चरी मिल का पत्थर साबित हुआ है. झारखंड के हर जिले में आर्चरी सेंटर खोला जाना चाहिए.

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