शचींद्र कुमार दाश
खरसावां : मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् मधुसूदनम, मंगलम् पुंडरीकाक्ष मंगलम् गरुड़ध्वज, माधव माधव बाजे, माधव माधव हरि, स्मरंती साधव नित्यम, सकल कार्य सुमाधवम्… के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सरायकेला-खरसावां व हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव संपन्न हुआ.
इसके बाद भक्तों के समागम, जय जगन्नाथ के जयघोष, शंखध्वनि व पारंपरिक उलध्वनी (हुलहुली) के बीच भक्तों को चतुर्था मूर्ति के अलौकिक नवयौवन रूप के दर्शन हुए. नेत्र उत्सव को रथ यात्रा का प्रथम व महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है.
सरायकेला-खरसावां जिला के सभी जगन्नाथ मंदिर के कपाट एक पखवाड़ा के बाद खुले हैं. इस अवसर पर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा व सुदर्शन के दर्शन को बड़ी संख्या में भक्त मंदिरों में पहुंचे थे. मौके पर पूजा-अर्चना के साथ हवन-कीर्तन भी हुआ. हरिभंजा में पुरी की तर्ज पर चतुर्था मूर्ति (प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन) का विशेष शृंगार किया गया था.
हरिभंजा में भंडारा का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. भक्तों ने कतारबद्ध होकर प्रसाद का सेवन किया. सरायकेला में भी भंडारा का आयोजन किया गया. गुरुवार को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन रथ पर सवार होकर मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर जायेंगे.