झारखंड के नये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का एलान, खरसावां गोलीकांड की जांच करायेंगे, शहीदों के परिजनों को देंगे नौकरी
शचिंद्र कुमार दाश खरसावां : झारखंड के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार खरसावां गोलीकांड की जांच करायेगी. गोलीकांड में शहीद हुए लोगों के परिजनों को नौकरी देगी और जो लोग नौकरी करने के काबिल नहीं होंगे, उन्हें सम्मानजनक पेंशन राशि दी जायेगी. इतना ही नहीं, खरसावां में एक शहीद स्मारक […]
शचिंद्र कुमार दाश
खरसावां : झारखंड के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार खरसावां गोलीकांड की जांच करायेगी. गोलीकांड में शहीद हुए लोगों के परिजनों को नौकरी देगी और जो लोग नौकरी करने के काबिल नहीं होंगे, उन्हें सम्मानजनक पेंशन राशि दी जायेगी. इतना ही नहीं, खरसावां में एक शहीद स्मारक भी उनकी सरकार बनवायेगी.
खरसावां के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद बुधवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि खरसावां गोलीकांड से जुड़े कागजात कहीं न कहीं तो जरूर होंगे. उनकी सरकार उसे खोजकर पूरे मामले की जांच करवायेगी.
श्री सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार में कोई भूखा नहीं मरेगा. उनकी सरकार सभी लोगों के लिए भरपेट भोजन का इंतजाम करेगी. सबको अनाज सरकार देगी. उन्होंने कहा कि बेहतर शिक्षा और महिलाओं को सुरक्षा उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार नयी उद्योग नीति लायेगी. इससे उद्योगपति और रैयत दोनों लाभान्वित होंगे.
हेमंत सोरेन ने कहा कि वर्तमान औद्योगिक नीति से सिर्फ उद्योगपति लाभान्वित हो रहे हैं. लेकिन, उनकी सरकार को नीति लायेगी, उससे उद्योगपतियों को तो फायदा होगा ही, उन लोगों को भी फायदा होगा, जो उद्योग-धंधों के लिए अपनी जमीन देंगे. उनकी सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने दी.
श्री सोरेन ने कहा कि उनकी पहली कैबिनेट की बैठक में पत्थलगड़ी से जुड़े लोगों के खिलाफ दर्ज किये गये मुकदमे वापस लिये गये. यह इस बात का संकेत है कि उनकी सरकार में कोई जनविरोधी काम नहीं होगा. उनकी सरकार जनता की सरकार है और जनता के लिए ही काम करेगी.
श्री सोरेन ने कहा, ‘हमें इन शहीदों के आदर्शों से शक्ति मिलती है. जिस तरह गुवा गोलीकांड में शहीद लोगों को चिह्नित कर नौकरी दी गयी, उसी तरह खरसावां गोलीकांड में शहीदों के आश्रितों को वर्तमान सरकार नौकरी देगी. उन्हें पेंशन देगी. अब इस राज्य में ऐसा कोई काम नहीं होगा और कोई ऐसा नियम नहीं बनेगा, जिससे राज्य के लोगों को परेशानी हो, तकलीफ हो और जनमानस को गुस्सा आये.
आदिवासियों और झारखंडी के हित में जो होगा, वही निर्णय लेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस राज्य में सिर्फ वही काम होगा, जो राज्य हित में होगा. यहां सिर्फ आदिवासियों और झारखंडियों के हित में निर्णय लिये जायेंगे. 5 वर्ष में जो कलंक लगा है, उसको भी धोना है. शपथ ग्रहण के बाद से मुझसे लोगों का मिलना अनवरत जारी है. उनकी आकांक्षाएं और उम्मीदें बहुत हैं. मेरा प्रयास होगा कि इस राज्य के हित में और यहां के लोगों के हित में ही काम होगा. मेरा हर कदम झारखंड का मान-सम्मान बढ़ाने, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर रास्ता निकालने वाला, हमारी मां, बहन और बेटियों की सुरक्षा के लिए और अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए होगा. झारखंड को सोने की चिड़िया बनाने के लक्ष्य को हम सभी झारखंडवासी मिलकर प्राप्त करेंगे.
झारखंड आप सभी का घर है, इसको हम सबको मिलकर संवारना है
हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार बनने के बाद यह सरकार का पहला कदम है. सरकार गठन के बाद मैं आज रांची से बाहर आया हूं. हर साल की तरह इस साल भी हम लोग खरसावां के शहीद स्थल पर एकत्रित हुए हैं. निश्चित रूप से झारखंड शहीदों का राज्य है. मैं पुनः उन सभी शहीदों को नमन करता हूं और उन शहीदों को याद करके ही हम हर काम प्रारंभ करेंगे. राज्य के पिछड़ा होने के बावजूद शोषण करने वाले वर्गों के खिलाफ हमारे लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी. पूरे राज्य के लोगों ने, आंदोलकारियों ने एक मजबूत प्रयास किया और आज इस राज्य में झारखंडवासियों की सरकार का निर्माण हुआ है.
उन्होंने कहा कि आपने जिस सोच के साथ आशा और उम्मीद के साथ हमें झारखंड को आगे ले जाने की जिम्मेवारी सौंपी है, उसका निर्वहन ईमानदारी से करूंगा. यह जिम्मेवारी, यह चुनौती बहुत बड़ी है. हम मिलकर इसके बीच से रास्ता भी निकालेंगे. राज्य के शहीदों ने हमें चुनौतियों को सीने से लगाने का बुलंद हौसला दिया है. इस अवसर पर सरायकेला विधायक चंपई सोरेन, मनोहरपुर की विधायक जोबा मांझी, खरसावां के विधायक दशरथ गागराई, जमशेदपुर पश्चिमी विधायक बन्ना गुप्ता, चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा, ईचागढ़ विधायक सबिता महतो और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.
उल्लेखनीय है कि देश की आजादी के महज साढ़े चार महीने बाद ही 1 जनवरी, 1948 को खरसावां में राजमहल से कुछ ही दूरी पर भारी संख्या में आदिवासियों को गोलियों से भून दिया गया था. बताया जाता है कि इसमें हजारों लोगों की मौत हो गयी थी. हालांकि, आज तक मृतकों का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है.