झारखंड : गुरु शशधर आचार्य को पद्मश्री, पांच साल के उम्र से छऊ से रहा है गहरा लगाव
शचिंद्र कुमार दाश/प्रताप मिश्रा-शशधर आचार्य को विरासत में मिला है छऊ नृत्यसरायकेला : सरायकेला के छऊ नृत्य के गुरु व आचार्य छऊ नृत्य विचीत्रा के निर्देशक शशधर आचार्य का चयन इस वर्ष के पद्मश्री पुरस्कार के लिये किया गया है. शनिवार को देर शाम पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गयी. छऊ नृत्य के क्षेत्र में […]
शचिंद्र कुमार दाश/प्रताप मिश्रा
-शशधर आचार्य को विरासत में मिला है छऊ नृत्य
सरायकेला : सरायकेला के छऊ नृत्य के गुरु व आचार्य छऊ नृत्य विचीत्रा के निर्देशक शशधर आचार्य का चयन इस वर्ष के पद्मश्री पुरस्कार के लिये किया गया है. शनिवार को देर शाम पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गयी. छऊ नृत्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये शशधर आचार्य को इस वर्ष का पद्मश्री पुरस्कार दिया जायेगा. गुरु शशधर आचार्य को 2004 में संगीत नायक पुरस्कार मिला था. श्री आचार्य 1990 से 1992 तक सरायकेला स्थित राजकीय छऊ डांस सेंटर के निर्देशक भी रह चुके है. वर्तमान में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में विजिटिंग प्रोफेसर है. गुरु शशधर आचार्य सरायकेला छऊ को कई विदेशों में प्रदर्शन कर चुके हैं. शशधर आचार्य को पद्मश्री पुरस्कार मिलने की खबर से सरायकेला में जश्न का माहौल है. शशधर आचार्य सरायकेला आये हुए है. बड़ी संख्या में लोग पहुंच कर उन्हें बधाई देने के लिये उनके घर पर पहुंच रहे है.
अपने पिता से पढ़ा छऊ नृत्य का पहला पाठ
शशधर आचार्य का छऊ नृत्य से बचपन से ही लगाव रहा है. बिरासत में मिली इस छऊ कला को उन्होंने पांच साल के उम्र से से ही सीखना शुरु किया. गुरु शशधर आचार्य के पिता गुरु लिंगराज आचार्य भी छऊ गुरु थे. शशधर आचार्य ने छऊ नृत्य का पहला पाठ अपने पिता लिंगराज आचार्य से सीखा है. इसके अलावे उन्होंने पद्मश्री सुधेंद्र नायारण सिंहदेव, पद्मश्री केदार नाथ साहू, गुरु विक्रम कुंभकार व गुरु बन बिहारी पटनायक से भी छऊ नृत्य की शिक्षा हासिल की.
पीढ़ी दर पीढ़ी छऊ के लिये समर्पित है आचार्य परिवार
छऊ गुरु शशधर आचार्य का परिवार पीढ़ई दर पीढ़ी छऊ नृत्य के लिये समर्पित है. पिछले पांच पिढ़ियों से उनका परिवार छऊ नृत्य करने के साथ साथ बच्चों को छऊ नृत्य सीखाने का कार्य करता है. उनके बच्चे भी छऊ नृत्य सीख रहे है.
सरायकेला के साथ साथ दिल्ली में भी सीखाते है छऊ नृत्य
शशधर आचार्य ने सरायकेला के इंद्रटांडी आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा की स्थापना कर बच्चों को छऊ नृत्य सीखाते है. ग्रामीण क्षेत्र की कलाकारों को भी छऊ नृत्य सीखाने का कार्य करते है. शशधर आचार्य इस संस्थान के निर्देशक भी है. वर्तमान में नई दिल्ली में आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा की संस्था की एक शाखा संचालित कर रहे हैं, जिसमें कलाकारों को सरायकेला छऊ शिक्षा दे रहे हैं. हाल के दिनों में सरायकेला के रंगपुर व सरायकेला में बच्चों को छऊ नृत्य रपर दो माह का विशेष प्रशिक्षण दे रहे है.
छऊ नृत्य के लिये पद्मश्री मिलने की सूचना अभी मिली. काफी अच्छा लगा. छऊ नृत्य कला के विकास के लिचये हमेशा कार्य करते है. छऊ कलाकारों भी इससे प्रोत्साहित होंगे. पद्मश्री पुरस्कार अपने पांच गुरुओं को समर्पित करता हूं. गांवों में जा कर युवाओं को छऊ नृत्य सीखायेंगे. छऊ के लिये आजीवन कार्य करते रहेंगे. छऊ कलाकारों को रोजगार से जोड़ने का प्रयास करेंगे.
गुरु शशधर आचार्य
क्या है छऊ नृत्य :- छऊ नृत्य सरायकेला-खरसावां का प्रसिद्ध लोक नृत्य है. इसमें शास्त्रीय नृत्य व संगीत का भी प्रयोग किया गया है. देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है. कलाकार मुखौटा कर पहन कर पारंपरिक वाद्य यंत्र ढ़ोलक, नगाड़ा व शहनाई के धून पर नृत्य करते है. विदेशों से भी काफी संख्या में लोग छऊ नृत्य सीखने के लिये पहुंचते है.
-: अब तक पद्मश्री पाने वाले छऊ गुरु:-
1. सुधेंद्र नारायण सिंहदेव – राजवाड़ी, सरायकेला – वर्ष 1991 में
2. केदार नाथ साहु – सरायकेला – वर्ष 2005 में
3. श्यामा चरण पति- ईचापीढ़, राजनगर – वर्ष 2006 में
4. मंगल चरण मोहंती – सरायकेला – वर्ष 2009 में
5. मकरध्वज दारोघा – सरायकेला – वर्ष 2011 में
6. पं गोपाल प्रसाद दुबे – सरायकेला – वर्ष 2012 में
7. शशधर आचार्य – सरायकेला – वर्ष 2020