दलभंगा में जनजातिय नृत्य प्रतियोगिता आयोजित

कलाकारों ने अपने नृत्य से आदिवासियों की समृद्ध कला, संस्कृति व जीवन शैली को रेखांकित कियामुंडाओं के शौर्य एंव पराक्रम की गाथा को रेखांकित करती वीर रस पर आधारित मुंडारी पाइका नृत्य को लोगों ने खूब सराहा15केएसएन 1 : दासांय नृत्य पेश करते कलाकार15केएसएन 2 : बुड़ीगाड़ी नृत्य पेश करते कलाकारसंवाददाता,खरसावां कुचाई के दलभंगा में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2014 7:02 PM

कलाकारों ने अपने नृत्य से आदिवासियों की समृद्ध कला, संस्कृति व जीवन शैली को रेखांकित कियामुंडाओं के शौर्य एंव पराक्रम की गाथा को रेखांकित करती वीर रस पर आधारित मुंडारी पाइका नृत्य को लोगों ने खूब सराहा15केएसएन 1 : दासांय नृत्य पेश करते कलाकार15केएसएन 2 : बुड़ीगाड़ी नृत्य पेश करते कलाकारसंवाददाता,खरसावां कुचाई के दलभंगा में बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति (39 मौजा) की ओर से बिरसा जयंती के मौके पर जनजातिय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कुचाई के साथ साथ सीमावर्ती अड़की प्रखंड के विभिन्न गांवों में आये नृत्य दलों ने अपने प्रदर्शन के माध्यम से आदिवासियों की समृद्ध कला, संस्कृति व जीवन शैली को रेखांकित किया. गुटूहातु के कलाकारों में मुंडाओं के शौर्य एवं पराक्रम गाथा को रेखांकित करती वीर रस पर आधारित मुंडारी पाइका नृत्य पेश कर लोगों की वाहवाही लूटी. छऊ नृत्य के माध्यम से कलाकारों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेज हूकुमत के दांत खट्टे करने वाले भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी पर भी नृत्य पेश किया. हाजारडीह के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत बुढ़ीगाड़ी नृत्य को लोगों ने काफी सराहा. मांदर की थाप पर मुंडारी गीतों पर लय से लय मिला कर नृत्य पेश करते कलाकारों ने भी उपस्थित सैकड़ों दर्शकों का मन मोह लिया. लोआबेड़ा के कलाकारों ने लुबुबुरु नृत्य, बढ़ानी के कलाकारों ने आदिवासी नृत्य, गिलुआ के कलाकारों ने करम नृत्य, जटियाणी के कलाकारों ने भादर व कुलागुटू के कलाकारों ने जादूर नृत्य भी पेश किया.

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