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दलमा राजा ने छोड़ा गिरा सकम, सेंदरा 27 को
जमशेदपुर : सेंदरा शिकार पर्व की तैयारी शुरू हो गयी है. परसुडीह के गदड़ा पंचायत में शुक्रवार को दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने पूजा अर्चना कर गिरा सकम (निमंत्रण) छोड़ा. इसके बाद से ढोल नगाड़ों के बीच इसकी शुरुआत की गयी. अब शनिवार से सभी गांवों में गिरा-सकम छोड़ा जायेगा. 27 अप्रैल को दलमा में […]

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जमशेदपुर : सेंदरा शिकार पर्व की तैयारी शुरू हो गयी है. परसुडीह के गदड़ा पंचायत में शुक्रवार को दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने पूजा अर्चना कर गिरा सकम (निमंत्रण) छोड़ा. इसके बाद से ढोल नगाड़ों के बीच इसकी शुरुआत की गयी. अब शनिवार से सभी गांवों में गिरा-सकम छोड़ा जायेगा.
27 अप्रैल को दलमा में सेंदरा अभियान चलेगा. इस दौरान जंगली जानवरों का शिकार किया जायेगा. शुक्रवार को गदड़ा पंचायत के दलमा राजा के गांव में उत्सव सा माहौल रहा. दलमा राजा ने दलमा माइ और इष्ट देवता की पूजा-अर्चना की. इस दौरान लोगों ने हथियारों की पूजा-अर्चना भी की. सेंदरा के लिए हथियार में धार देने का काम शुरू हुआ.
शिकार के दिन सिंदूर नहीं लगाती हैं महिलाएं: शिकार सेंदरा पर्व के दिन महिलाएं सिंदूर नहीं लगाती हैं. शिकार पर्व से पुरुषों के सकुशल आने के बाद महिलाएं पूजा-अर्चना कर सिंदूर लगाती है. उसके पीछे मान्यता यह कि शिकार करना जोखिम भरा काम है.
कोई फंदा का इस्तेमाल नहीं होगा : दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने बताया कि सेंदरा पर्व हर साल मनाया जाता है. इस बार धूमधाम से मनाया जायेगा. शिकार पर्व में फंदा का इस्तेमाल न हो, यह सुनिश्चित किया जायेगा. यह परंपरा के खिलाफ है. शिकार पारंपरिक तरीके से होता आया है और होगा.
क्या है गिरा सकम
गिरा सकम आदिवासियों की भाषा में निमंत्रण को कहा जाता है. सेंदरा अभियान में शामिल होने के लिए हर गांव के मुखिया को गिरा सकम भेजा जाता है. गिरा सकम में एक-एक गिट्ठा (बंधन) होता है, जो समय के साथ खुलता रहता है. यह 27 अप्रैल को वापस गदड़ा में दलमा राजा के घर आ जायेगा. इसके बाद सेंदरा शिकार पर्व मनाया जायेगा.
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