23वें स्थान पर खिसका सरायकेला जिला
मैट्रिक रिजल्ट-13 में जिला का प्रदर्शन असंतोषजनक, वर्ष-12 में जिला का था 15वां स्थान, कई कमियां उभरींसरायकेला : जिला में हाइस्कूलों की शिक्षा व्यवस्था लचर हुई है, इसका अंदाजा झारखंड अधिविद परीक्षा समिति द्वारा जारी मैट्रिक-2013 के रिजल्ट से लगाया जा सकता है. 2012 में सरायकेला-खरसावां जिला राज्य में 15वें स्थान पर था, लेकिन इस […]
मैट्रिक रिजल्ट-13 में जिला का प्रदर्शन असंतोषजनक, वर्ष-12 में जिला का था 15वां स्थान, कई कमियां उभरीं
सरायकेला : जिला में हाइस्कूलों की शिक्षा व्यवस्था लचर हुई है, इसका अंदाजा झारखंड अधिविद परीक्षा समिति द्वारा जारी मैट्रिक-2013 के रिजल्ट से लगाया जा सकता है. 2012 में सरायकेला-खरसावां जिला राज्य में 15वें स्थान पर था, लेकिन इस वर्ष-2013 में जिला का स्थान खिसक कर सीधे 23वें स्थान पर चला गया है.
इसका कारण जहां स्कूल में शिक्षकों की कमी का होना बताया जा रहा है, वहीं इस वर्ष कदाचार मुक्त परीक्षा लिये जाने के कारण रिजल्ट में कमी आने की बात कही जा रही है. राज्य के दस टॉपरों की सूची में जिला के एक भी छात्र जगह बनाने में नाकाम रहा है. रिजल्ट खराब होने का कारण चाहे जो भी हो, हकीकत तो यह है कि जिला में शिक्षा का स्तर गिरा है.
इसका सबसे बड़ा कारण स्कूल में शिक्षकों की कमी को माना जा रहा है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी हरिशंकर राम से पूछे जाने पर कहा कि इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा कड़ाई से ली गयी थी. परीक्षा कदाचारमुक्त लिये जाने के कारण जो भी बच्चे पास हुए हैं, अच्छे बच्चे ही पास हुए है. इस कारण रिजल्ट का प्रतिशत घटा है.
85 हाइस्कूल पर 90 शिक्षक
जिला में हाइस्कूलों में पठन-पाठन का खस्ता हाल है. जिला में औसतन एक स्कूल में एक शिक्षक है. आंकड़ों को देखा जाये तो जिला में कुल 85 हाइस्कू ल हैं, इसमें लगभग 800 पद शिक्षकों के लिए स्वीकृत है, लेकिन इसमें मात्र 90 शिक्षक ही कार्यरत हैं, बाकी पर प्रतिनियुक्ति पर हैं.
जब एक स्कूल में एक शिक्षक हो, तो छात्र की पढ़ाई का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. जिला में इतने स्कूलों में से कुल 800 शिक्षकों का पद रिक्त पड़ा हुआ है.