खुद को कष्ट देकर अपने आराध्य को प्रशन्न करने की परंपरा है हठभक्ति

– गितीलोता में शिव भक्तों ने बांह की चमड़ी में छेद किया, तो कई ने जलते आग के शोलों पर किया नृत्य- वर्षों से चली आ रही परंपरा पूरे उत्साह के साथ अब भी कायमसंवाददाता, खरसावां खरसावां के गितीतोला में अपने आराध्य देव भोलेनाथ शिवशंकर के प्रति अटूट अस्था दिखाते हुए भक्तों ने हठभक्ति की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2015 7:04 PM

– गितीलोता में शिव भक्तों ने बांह की चमड़ी में छेद किया, तो कई ने जलते आग के शोलों पर किया नृत्य- वर्षों से चली आ रही परंपरा पूरे उत्साह के साथ अब भी कायमसंवाददाता, खरसावां खरसावां के गितीतोला में अपने आराध्य देव भोलेनाथ शिवशंकर के प्रति अटूट अस्था दिखाते हुए भक्तों ने हठभक्ति की. रोजो संक्रांति के मौके पर हर वर्ष शिव भक्त पूर्व में मांगी गयी मन्नत पूरी होने की खुशी में अपनी बांह की चमड़ी में छेद करा कर धागा पिरोते है तथा भोले बाबा का नाम ले कर नृत्य करते है. खरसावां के गितीलोता में इस बार भी कुछ अजीबो- गरीब नजारा देखने को मिला. अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी में शिव भक्तों ने बांह की चमड़ी में छेद करा कर धागा पिरोया. करीब दो दर्जन भक्तों ने ढ़ोल-नगाड़ों की थाप पर जलते आग के शोलों पर नृत्य किया. कई भक्तों ने बबूल, बेर, बेल के कांटेदार टहनियों को फूलों की सेज समझ कर सोया. कई भक्त ने लकड़ी के पटरा पर गाड़े गये नूकीले कांटी पर सो कर अपने आराध्य देव से किये हुए वायदे को पूरा किया. भक्ति के इस रुप को भगवान की महिला मानिये या एक महज संयोग कि आज तक किसी भक्त को न तो साधारण सेप्टीक जैसी कोई बीमारी हुई है और न ही किसी भक्त ने चमड़े में हुक लगाने के दौरान हुई घाव को ठीक करने के लिए कोई दवा खाया. यहीं कारण है कि वर्षों से इस गांव में चली आ रही यह परंपरा अब भी पूरे उत्साह के साथ हर वर्ष पूरा किया जा रहा है. भक्ति की इस परंपरा का वर्षों से पालन करने वाले इन हठी भक्तों का मानना है कि जब पूरी प्रक्रिया ही भगवान को समर्पित है, तो उसमें भक्तों का बूरा होने का सवाल ही नहीं उठता. जिस मन्नत को पूरा करने के लिए भक्त भगवान से वादा करते है, वहां वादा खिलाफी की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं रहती है.

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