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जिले में महज 48.01 प्रतिशत हुई धान की रोपनी

सरायकेला में अगस्त के पहले पखवाड़े तक 50 फीसदी हुई बारिश

प्रतिनिधि, सरायकेला

सरायकेला-खरसावां जिला में धान की रोपनी महज 48 प्रतिशत ही हो पायी है. लेकिन धान की खेती उत्साहजनक नहीं होने से किसान चिंतित हैं. अगस्त माह के पहले पखवाड़े में जिला में मात्र 50 फीसदी ही बारिश हुई है. सरायकेला-खरसावां के अधिकतर किसान धान की खेती छींटा विधि से करते हैं. जून माह में जहां किसान बुआई करते हैं, वहीं जुलाई में कढ़ान का काम करते हैं. अगस्त तक रोपनी का काम पूरा कर देते हैं. किसानों का मानना है कि जुलाई में खेती कार्य होने से धान का उत्पादन अच्छा होता है. लेकिन इस वर्ष अगस्त के पहले पखवाड़े में मात्र 48 फीसदी ही रोपनी का कार्य हो पाया है. इसमें भी छींटा विधि से महज 42 प्रतिशत कार्य हुआ है. इससे किसान चिंतित हैं. वहीं इस वर्ष भी सुखाड़ की आशंका बनी हुई है.

जिले में धान, दलहन, तिलहन से लेकर मोटा अनाज की होती है खेती

सरायकेला-खरसावां जिले में धान के साथ दलहन, तिलहन व मोटा अनाज की भी खेती होती है. खेती को लेकर जहां कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों को प्रेरित किया जाता है. वहीं सब्सिडी दर पर बीज की आपूर्ति भी की जाती है. ताकि किसानों खेती को लेकर प्रेरित हों. धान के साथ बाकी खेती की भी जिला में अच्छी स्थिति नहीं है.

खरीफ खेती के लक्ष्य के अनुरूप अच्छादन

धान खेती : 48.01 प्रतिशतमक्का : 65.80 प्रतिशत

दलहन : 60.48 प्रतिशत

तेलहन : 8.49 प्रतिशतमोटा अनाज:00 प्रतिशत

अगस्त में 174.6 मिमी हुई बारिश

सरायकेला-खरसावां जिले में अगस्त में महज 174.6 मिमी बारिश हुई है. इसमें सबसे अधिक 340 मिमी कुचाई में बारिश हुई है. जबकि सबसे कम 103 मिमी बारिश कुकड़ू में दर्ज की गयी है. राजनगर व सरायकेला का वर्षा मापक यंत्र खराब रहने से दो प्रखंडों का रिकाॅर्ड दर्ज नहीं हो पाया है.

जिला में छींटा विधि से महज 48.01 प्रतिशत ही रोपनी का कार्य हुआ है, जो उत्साहजनक नहीं है. हालांकि रोपनी कार्य चल रहा है.

-संजय कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, सरायकेला-खरसावां

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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