प्राकृतिक संसाधनों पर आदिवासियों का हक
आदिवासी हो समाज महासभा के अधिवेशन के समापन में बोले विधायक चंपई सोरेनसरायकेला : खरसावां विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बड़ाचीरु मैदान में रविवार को आदिवासी हो समाज महासभा का दो दिवसीय अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ. समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में समाज के मधुसूदन मारला व पूर्व मंत्री सह सरायकेला के विधायक चंपई […]
आदिवासी हो समाज महासभा के अधिवेशन के समापन में बोले विधायक चंपई सोरेन
सरायकेला : खरसावां विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बड़ाचीरु मैदान में रविवार को आदिवासी हो समाज महासभा का दो दिवसीय अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ.
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में समाज के मधुसूदन मारला व पूर्व मंत्री सह सरायकेला के विधायक चंपई सोरेन उपस्थित थे. सम्मेलन में आदिवासियों की उत्पत्ति से लेकर भाषा-संस्कृति एवं विलकिंशन रूल, मुंडा-मानकी के अधिकार व उनके शक्ति व कार्यक्षेत्र पर चर्चा करते हुए विस्तृत जानकारियां दी गयी.
अधिवेशन को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासी एकजुट हो, तभी विकास संभव है. उन्होंने कहा कि हमारी पहचान हमारी संस्कृति है. आधुनिकता के इस दौड़ में हम अपनी संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं. इसके लिए जरूरी है की अपनी संस्कृति की रक्षा करें और वारंड्ग क्षति लिपि से बच्चों को शिक्षा दें.
उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश जंगल से घिरा हुआ था, हमारे पूर्वजों ने ही झाड़ी-जंगल को हटा कर गांव बसाया. इसलिए यहां की प्राकृतिक संसाधन पर भी आदिवासीयों का हक है. उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश काफी धनी है. पर यहां के लोग गरीब हैं. हम अपनी प्राकृतिक संसाधन का सही रूप से उपयोग नहींकर पा रहे हैं.
अधिवेशन को केंद्रीय महासचिव नरेश देवगम ने संबोधित करते समाज के विकास के लिए शिक्षा को जोर देते बच्चों को स्कूल भेजने व नशा सेवन से दूर रहने की बात कही. अधिवेशन को राउतु पुरती, भूषण पाट पिंगुवा, इपिल सामद, बिरसा तियु, सेलाय पुरती, बिजलीमती बानरा, लादुरा बानरा उदय बानरा ने भी संबोधित किया. मौके पर समाज के कई लोग उपस्थित थे.