कुचाई : प्रखंड के सीमावर्ती गांवों में आज भी पेयजल की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रखंड में अब भी 13 गांव ऐसे है, जहां अब तक चापानल गाड़ा नहीं जा सका है.
पहाड़ी क्षेत्र के इन गांवों में चापानल के लिये सड़क बनने का इंतजार करना होगा. पहाड़ी क्षेत्र व सड़क नहीं रहने के कारण इन गांवों तक चापानल गाड़ने वाली गाड़ी नहीं पहुंच पा रही है. विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रखंड में 981 चापानल है, जिसमें से 181 खराब पड़े हुए है. 14 गांव वाले रोलाहातु पंचायत के ही दस गांव में चापानल नहीं है.
इस पंचायत के 10 गांवों के लोग अब चुंआ के पानी से अपनी प्यास बुझाते है. इस कारण मलेरिया जैसे संक्रमण बीमारियों का भी शिकार होते रहते है. रोलाहातु पंचायत के बुरुहातु, बाउगुटू, रोलाहातु, पुनीसीर, गिलुआ, डांगील, तसराउली, लुडुबेरा, कोरा व सिकरंबा गांव में चापानल नहीं गाडा गया है. इन दस गांवों की आबादी करीब पांच हजार होगी. इतनी बड़ी आबादी अब भी पेयजल की समस्या के लिये जूझ रही है.
गांव के पास बहने वाली नाला पर चुंआ खोद कर गांव के लोग अपनी प्यास बुझाते है. रोलाहातु पंचायत के ही जोंबरो में नौ, अतरा में 13, कोमाय में 5 व तोरंबा में 10 चापानल गाड़े गये है. इसके अलावे गोमियाडीह पंचायत के कांडेरांगो, छोटासेगोई पंचायत के रायसिंदरी व बारुहातु पंचायत के देसवापहाड़ में भी चापानल नहीं गाड़ा जा सका है. इस संबध में पूछे जाने पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सहायक अभियंता संजय प्रसाद ने बताया कि इन 13 गांवों को छोड़ कर कुचाई के सभी गांवों में चापानल गाड़ा गया है.
इन गांवों में चापानल नहीं गाड़े जाने का मुख्य कारण सड़क का न होना बताया. उन्होंने कहा कि सड़क नहीं होने के कारण चापानल के लिये गड्ढा खोदने वाली वाहन इन गांवों में नहीं जा सकती है. सड़क बनते ही इन गांवों में चापानल भी गाड़ दिया जायेगा.