Seraikela News : खरसावां के चिलकु तालाब में पहली बार पहुंचा यूरोपियन प्रवासी पक्षियों का झुंड

तालाब में अटखेलियां करते देखे गये रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, साइबेरियन स्टोनचैट व गैडवाल

By Prabhat Khabar News Desk | November 18, 2024 11:37 PM

शचिंद्र कुमार दाश, खरसावांखरसावां प्रखंड के चिलकु गांव के पास स्थित तालाब में पहली बार यूरोपियन प्रवासी पक्षियों का झुंड देखा गया है. इनमें कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को तालाब में अटखेलियां करते देखा गया. इस झुंड में रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, साइबेरियन स्टोनचैट, गैडवाल आदि पक्षी शामिल थे. खरसावां जैसे छोटे कस्बे में इन यूरोपियन पक्षियों का आगमन पर्यावरण के लिए सुखद संकेत है. कहा जाता है कि ये विदेशी पक्षी सर्दियों के मौसम में अपने मूल देश से लाखों मिल दूर एशियाई देशों में आते हैं. सर्दियों के समय यहां प्रजनन करते हैं. सर्दियां खत्म होने पर लौट जाते हैं. इनका प्रजनन दक्षिण यूरोप व मध्य एशिया के देशों में होता है. अबतक रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, साइबेरियन स्टोनचैट, गैडवाल आदि पक्षी सामान्यत: इस क्षेत्र में नहीं आते थे.

बत्तख जैसा दिखता है रूफिना रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड

रूफिना रेड क्रेस्टेड पोचार्ड को हिंदी भाषा में लाल चोंच व लाल सिर वाले बत्तख के नाम से भी जाना जाता है. सर्दियों के मौसम में भारत आने वाला यह प्रवासी पक्षी है. यह पक्षी देखने में बिल्कुल देसी बत्तख जैसा होता है. बत्तख की यह प्रजाति गोलाकार दिखायी देती है. प्रवास के दौरान यह समूह में रहता है. नर व मादा दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं. घोंसला आमतौर पर बड़ी वनस्पति या झाड़ियों के नीचे छिपा कर बनाते हैं. घोंसले के आस-पास उपलब्ध घास, तिनके व अन्य वनस्पति का इस्तेमाल करते हैं. मादा 7 से 11 अंडे देती है. ये पक्षी तैरते हुए डुबकी लगाकर जलीय वनस्पति को ऊपरी सतह पर लाकर खाते हैं. अधिकतर समय नर पक्षी पानी में डुबकी मारकर जलीय वनस्पति को बाहर लाते हैं. बाद में नर व मादा दोनों तैरते हुए इसे खाते हैं.

मध्य उत्तरी अमेरिका में अधिकतर पाये जाते हैं यूरोपियन गैडवाल

गैडवाल यूरोप के उत्तरी क्षेत्रों व मध्य उत्तरी अमेरिका में अधिकतर पाये जाते हैं. गैडवाल पक्षी सर्दियों के मौसम में भारत के दक्षिण राज्यों में पहुंचते हैं. जानकार बताते हैं कि यहां पहली बार चिलकु तालाब इन प्रजाति की पक्षियों को देखा गया है. गैडवाल एक दुर्लभ प्रजनन पक्षी और भारत में शीतकालीन आगंतुक पक्षी है.

कीटभक्षी होते हैं साइबेरियन स्टोनचैटसाइबेरियन स्टोनचैट नामक यह यूरोपियन प्रवासी पक्षी सर्दियों के मौसम में भारत पहुंचते हैं. खरसावां में पहली बार ये पक्षी पहुंचे हैं. साइबेरियन स्टोनचैट कीटभक्षी होते हैं

दिसंबर के पहले सप्ताह में पहुंचेगा साइबेरियन पक्षियों का झुंड

चांडिल.

सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल समेत अन्य जलाशयों में हर वर्ष नवंबर के पहले सप्ताह से ही साइबेरियन पक्षियों के झुंड पहुंचने लगते हैं. लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष काफी कम संख्या में पक्षी पहुंचे हैं. चांडिल डैम में इस वर्ष इक्का-दुक्का साइबेरियन पक्षी दिखायी दे रहे है. ठंड आने में हो रही विलंब व क्लाइमेट चेंजिंग को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है. अमूमन हर साल देखा जाता है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह तक चांडिल डैम में प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का जमघट लगा रहता है. दिनभर डैम में इन विदेशी मेहमानों को अटखेलियां करते देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन इस वर्ष इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पहुंच रहे लोग मायूस होकर लौटना रहे हैं. संभावना है कि सर्दी बढ़ने के साथ दिसंबर के पहले सप्ताह में साइबेरियन पक्षी यहां पहुंचेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version