राजनगर.सभ्यता व संस्कृति ही हमारी पहचान है, इसे बचाकर रखना हमलोगों का कर्तव्य है. संस्कृति में समरसता और एकता का भाव होता है. यह भावना लोगों के बीच पारस्परिक सहयोग को बढ़ाती है. उक्त बातें स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग सह निबंधन मंत्री रामदास सोरेन ने कही. वे मंगलवार को राजनगर के आदिम सेवा क्लब ( सोलगाड़िया) के 54वें वार्षिकोत्सव पर खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति काफी पुरानी है. यह हमारे पूर्वजों की देन है. खेलकूद के साथ शिक्षा भी जरूरी है.
कहा कि, अपने बच्चों को संताली जरूर पढ़ाएं. संताली में पढ़ने-लिखने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है. कहा कि 12 वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. सरकार शिक्षकों की कमी को जल्द पूरा करेगी. राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए 50 विद्यार्थियों को विदेश भेजा है.पूर्वजों की देन को संजोए रखें
वहीं, झामुमो के केन्द्रीय सदस्य कृष्णा बास्के ने कहा कि पूर्वजों की देन को संजोए रखना ही हमारा कर्तव्य है. इससे पूर्व मंत्री रामदास सोरेन, कृष्णा बास्के व सभी अतिथियों को नगाड़ा, धमसा की थाप पर महिलाओं ने नाचते हुए व फूलों से स्वागत किया. मौके पर बिशु हेम्ब्रम, भक्तु मार्डी, सरकार मार्डी, सावना सोरेन, सिबिल देवगम, पप्पू राय, सोनाराम मुर्मू, श्याम टुडू, रोही हेम्ब्रम, बाया टुडू उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है