सरायकेला : खरसावां, कुचाई के विभिन्न क्षेत्रों में प्रकृति का पर्व करम पूजा शुक्रवार से शुरू हुई. खरसावां के बड़ाबांबो, उदालखाम, मोसोडीह, शहरबेड़ा, तेतुलटांड़, सोखानडीह, छोटाबांबो, तेलायडीह, जोरडीहा, कृष्णापुर, कुचाई के मुंडादेव, बायांग, जिलंगदा, पोंडाकाटा, जोजोहातु समेत आसपास के गांवों में लोग पूरे उत्साह के साथ करम पूजा का आयोजन कर रहे हैं.
विभिन्न स्थानों पर लोगों ने करम डाली गाड़ कर पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना की. इस दौरान उपवास में रहकर करम देवता की पूजा अर्चना की. खेतों में तैयार फसल की रक्षा के लिए लोगों ने उपवास रखकर करम देवता की आराधना की. इसके पश्चात प्रसाद वितरण किया गया. कोविड-19 के कारण इस वर्ष खरसावां-कुचाई में कहीं भी सामूहिक करम मिलन समारोह का आयोजन नहीं हुआ.
शुक्रवार को करम एकादशी पर पूजा अर्चना के पश्चात करम गीत गाते हुए सोशल डिस्टेंस बनाते हुए नृत्य कर रस्म को निभाया. क्षेत्र के झूमर कलाकार संतोष महतो पूरे विधि-विधान के साथ करम डाली को घर लाने के साथ पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने अपने स्वरचित करम गीतों पर मांदर की थाप देते हुए परिवार के लोगों के साथ नृत्य किया.
कोनो मासे कुंदुआ, कोनो मासे आम गे, हां हो भाद्र मासे करम राजार नाम गे… गीत पेश कर सभी को झुमाया. इसके अलावे बड़ो दीदी, छोटो दीदी साजीके आवा, एकादशी करम दिन नाचो गे जावा… जैसे करम गीतों पर लोग थिरकते रहे. करम पर्व को प्रकृति का उपासना पर्व व भाई-बहन के स्नेह के पर्व के रूप में देखा जाता है.
posted by : sameer oraon