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झारखंड में ‘ताश के पत्तों की तरह’ भरभरा कर गिरी बिल्डिंग, बाल-बाल बचे लोग, पेड़ के नीचे गुजार रहे रात, देखें Video

सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया के टायो कॉम्प्लेक्स की ई-टाइप बिल्डिंग भरभरा कर गिर गयी. इस हादसे में लोग बाल-बाल बच गए. सात परिवार पेड़ के नीचे रात गुजारने पर मजबूर हैं.

गम्हरिया/जमशेदपुर-सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया के टायो कॉम्प्लेक्स में सोमवार की शाम पांच बजे अफरा-तफरी मच गयी. जब ई-टाइप की चार मंजिला एक पुरानी बिल्डिंग भरभरा कर गिर गयी. एक बिल्डिंग के आठ भवन गिरने से इलाके में धूल का गुबार फैल गया. अचानक हुए हादसे के कारण इलाके में अफरा-तफरी हो गयी. बिल्डिंग में टायो कंपनी के कर्मचारी रहते थे. कंपनी वर्तमान में बंद है. स्थानीय निवासियों के अनुसार रविवार की रात आठ बजे से ही बिल्डिंग की दीवार ढहने लगी थी. लोगों में भय व्याप्त था. जिससे कई लोग रविवार की रात से ही बिल्डिंग से बाहर निकल गये थे और रात खुले आसमान के नीचे गुजारी. कई लोग खुशनसीब थे कि अनहोनी की आशंका से पहले ही अपना समान निकाल लिये थे. जबकि कई लोग कॉलोनी से बाहर होने से समान नहीं निकाल सके. जिससे उनका लाखों का समान बर्बाद हो गया, लेकिन बिल्डिंग खाली होने से बड़ा हादसा होने से टल गया.

गिर सकते हैं कभी भी आठ भवन


ई-टाइप का आठ भवन कभी भी गिर सकता है. जिससे अभी भी लोगों में दहशत कायम है. स्थानीय लोगों के अनुसार बिल्डिंग 1972 के आस-पास बनी बता रहे है. साल 2016 से टायो कंपनी बंद है. कंपनी बंद होने से लंबे समय से फ्लैट का मेंटेनेंस नहीं हुआ है. ई टाइप का कॉलोनी में कुल छह बिल्डिंग है. दो बिल्डिंग में टायो के कर्मचारी रहते है. जबकि चार बिल्डिंग में कंपनी के सुरक्षा कर्मी अपने परिवार के साथ रहते है. ये सभी बिल्डिंग फिलहाल ठीक- ठाक है.

कंपनी पहले ही कर चुकी है असुरक्षित और अनुपयुक्त घोषित


टाटा स्टील प्रबंधन ने पहले ही ई टाइप की बिल्डिंग को असुरक्षित और रहने के लिए अनुपयुक्त घोषित कर चुकी है. कंपनी प्रबंधन का कहना है कि टीजीएस कॉलोनी में दो इमारतें ढह गयी. ये इमारतें टायो रोल्स कंपनी की थी. इन्हें पहले ही असुरक्षित और रहने के लिए अनुपयुक्त घोषित किया जा चुका था. हालांकि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ है. आपातकालीन दल मौके पर है, स्थिति का आकलन कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि क्षेत्र सुरक्षित और सुरक्षित बना रहे.

कंपनी के पदाधिकारियों से उलझे क्वार्टरवासी


रविवार की शाम को एक इमारत के ध्वस्त होते ही बैरिकेटिंग के लिए पहुंचे कंपनी के पदाधिकारियों से क्वार्टर के लोग उलझ गये. काफी देर तक विवाद के बाद मामला शांत हुआ. कंपनी के पदाधिकारियों ने उक्त इमारत पर जाने वाले मार्ग को बैरिकेट कर आवागमन को बाधित कर दिया गया. कंपनी के पदाधिकारियों ने कहा कि वे रविवार को ही आकर क्वार्टर के लोगों को वहां से निकल जाने की सलाह दी थी. घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है. लोग प्रशासन और कपंनी से मुआवजा की मांग कर रहे है.

2016 से क्वार्टरों की मरम्मत है बंद : अजय कुमार


टायो संघर्ष समिति के अजय कुमार ने कहा कि टायो कंपनी बंद होने के बंद से यानि 2016 से क्वार्टरों की मरम्मति बंद है. वर्षों पूर्व बने क्वार्टरों की कई वर्षों से मरम्मति नहीं होने से अधिकतर क्वार्टर जर्जर है. कर्मचारियों का वेतन बंद है. मेडिकल सुविधा बंद कर दी गयी है. कर्मचारी वेतन मिलने की आस लिये अपने परिवार के साथ रहते आ रहे है. टायो कंपनी का मामला विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन है. प्रशासन की पहल पर कुछ लोगों को दूसरे जगह अस्थायी तौर पर रहने की व्यवस्था की गयी है.

घटना ने बर्बाद कर दिया : सुनील कुमार मिश्रा


पीड़ित सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि उनका परिवार कुछ भी सामान को बाहर नहीं निकाल पाया. पूरी जिंदगी भर की कमायी इमारत में दब गयी. पिछले आठ वर्षों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. आज की घटना ने मुझे पूरा कंगाल बना दिया. अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा, जिससे कि हम अपनी जिंदगी को जी सके.

ये हैं पीड़ित


सुनील मिश्रा, झुनझुन पांडेय, परेश महतो, दिलीप सिंह, आशीष ठाकुर, गुरूचरण महतो, नंदजी सिंह.

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