सरायकेला (शचिंद्र कुमार दाश/प्रताप मिश्रा): सरायकेला से छह बार के विधायक रहे चंपाई सोरेन शुक्रवार को बीजेपी में शामिल हो गए. चंपाई सोरेन की गिनती झामुमो के वरिष्ठ नेताओं में होती थी. इनका राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. 80 के दशक में झारखंड आंदोलन के जरिए चंपाई सोरेन ने राजनीति में कदम रखा था. गम्हरिया प्रखंड के जिलिंगगोडा गांव में एक किसान परिवार में जन्मे चंपाई सोरेन ने 10वीं तक की पढ़ाई की है. इसके बाद पढ़ाई छोड़ झारखंड आंदोलन में कूद गए. राज्य के मंत्री और सीएम रहे चंपाई ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया.
किन मजदूरों के हित में किए बड़े आंदोलन?
90 के दशक में उन्होंने जमशेदपुर और आस-पास के क्षेत्रों में असंगठित मजदूरों के हित में बड़े आंदोलन किए. वर्ष 1991 से 2019 तक सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए विधानसभा चुनाव में एक टर्म को छोड़कर उन्होंने सभी चुनावों में जीत दर्ज की है. सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से चंपाई सोरेन ने अब तक छह बार जीत दर्ज की है, जबकि उन्हें वर्ष 2000 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. चंपाई सोरेन कोल्हान टाइगर के नाम से फेमस हैं. वह झामुमो में भी केंद्रीय समिति के कई पदों पर रह चुके हैं. पूर्व में वह पार्टी में उपाध्यक्ष, महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों को संभाल चुके हैं. चंपाई सोरेन को राजनीति का लंबा अनुभव है.
चंपाई ने कब जीता विधानसभा का पहला चुनाव?
चंपाई सोरेन ने पहली बार वर्ष 1991 के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी और विधायक बने थे. इस चुनाव में चंपाई सोरेन ने सिंहभूम के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हराया था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ कर बीजेपी के पंचु टुडू को 15246 वोट से हराकर फिर से विधायक बने थे. वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर के कारण अनंत राम टुडू के हाथों पहली बार चंपई सोरेन को 8783 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद वर्ष 2005 में चंपाई सोरेन ने बीजेपी के लक्ष्मण टुडू को 882 वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की. 2009 के चुनाव में भी बीजेपी के लक्ष्मण टुडू को 3246 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 1115 और 2019 के विधानसभा चुनाव में करीब 15,667 हजार वोट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे.
झारखंड में कितनी बार मुख्यमंत्री और मंत्री रहे चंपाई सोरेन?
चंपाई सोरेन झारखंड में चार बार मंत्री और एक बार मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं. पहली बार वर्ष 2010 में भाजपा-झामुमो गठबंधन वाली अर्जुन मुंडा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे. इसके बाद वर्ष 2013 में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो इन्हें फिर से मंत्री पद मिला और तीन विभाग उद्योग, परिवहन और आदिवासी कल्याण मंत्रालय के मंत्री रहे. वर्ष 2019 में राज्य में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो हेमंत सोरेन की सरकार में 28 जनवरी 2020 को चंपाई सोरेन को फिर एक बार मंत्री बनाया गया. इसके बाद बड़े राजनीकि घटनाक्रम में जब 31 जनवरी 2024 को एक मामले में इडी ने तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया, तो इंडिया गठबंधन ने सीएम पद के लिए चंपाई सोरेन को चुना. इसके बाद चंपाई सोरेन ने 02 फरवरी 2024 से 03 जुलाई 2024 तक झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. जेल से बाहर आने के बाद चंपाई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दिया. हेमंत सोरेन सीएम बने. इस सरकार में भी चंपाई सोरेन जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्य किया.
चंपाई सोरेन की प्रोफाइल
नाम : चंपाई सोरेन
पिता : स्व सिमल सोरेन
पुत्र : चार, पुत्री : तीन
पार्टी : झामुमो
विधानसभा क्षेत्र : सरायकेला
स्थायी पता: ग्राम-जिलिंगगोडा, पोस्ट-डूंडरा, प्रखंड-गम्हरिया, जिला सरायकेला-खरसावां
उम्र : 69 वर्ष
शिक्षा : मैट्रिक
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