रिपोर्ट : शचिंद्र कुमार दाश
सरायकेला: सरायकेला-खरसावां के कुचाई के गुड़गुदरी गांव में वार्षिक चड़क पूजा का आयोजन किया गया. गांव के शिव मंदिर के सामने भोक्ताओं ने चैत्र सांक्रांति के मौके पर विधिवत पूजा अर्चना की. इसके पश्चात भोक्ताओं ने भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति व आस्था को प्रकट करते हुए गाजाडांग (रुजड़ी) का आयोजन किया. इसमें भोक्ताओं के पीठ की चमड़ी में लौहे का हुक लगा कर 30 फीट ऊपर एक बांस के सहारे लटकाया जाता है.
फिर भगवान भोलेनाथ का नाम लेकर उसे हवा में उड़ाया जाता है. इसके अलावे कई भोक्ताओं ने दहकते अंगारों पर चल कर अपनी हठ भक्ति को प्रदर्शित किया. तन को कष्ट दे कर मन को सुकुन देने के लिए हर साल चड़क पूजा पर हठ भक्ति की इस परंपरा को निभाया जाता है. इसे देखने के लिए भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. कुचाई के जोजोहातु में भी चड़क पूजा के दौरान आगुनमाड़ा का आयोजन किया गया. यहां भी भोक्ताओं ने अपने आराध्य देव के लिए भक्ति को प्रदर्शित किया.
कुचाई के गुड़गुदरी में चड़क पूजा के मौके पर छऊ नृत्य का आयोजन किया गया. गुड़गुदरी गांव के कलाकारों के साथ साथ खूंटपानी के चांचा गांव के कलाकारों ने सिंगुवा छऊ नृत्य पेश किया. कलाकारों द्वारा अलग अलग सामाजिक व धार्मिक थीमों पर आधारित छऊ नृत्यों को लोगों ने खूब पसंद किया. कुचाई के जोजोहातु गांव में भी मानभूम शैली के छऊ नृत्य प्रदर्शित की गयी.
Posted By: Sameer Oraon