चांडिल. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात थम नहीं रहा है. चांडिल प्रखंड के सुकसारी, रुसुनिया, नीमडीह प्रखंड के बाना, कुशपुतुल, सीमा, ओड़िया, लावा, अंडा, कुकड़ू प्रखंड के डाटम, बकड़कुड़ी, ईचागढ़ प्रखंड के बीरडीह, पिलिद, बिस्टाटांड़ आदि क्षेत्र में अलग-अलग झुंड में जंगली हाथी मौजूद हैं. दिन भर हाथी जंगल में रहते हैं. शाम ढलते ही गांव में घुसते हैं. धनकटनी में जुटे किसान डरे-सहमे हुए हैं. वन विभाग हाथियों को भागने के लिए पहल नहीं कर रहा है. हाथी से फसल को नुकसान होने पर मुआवजा मिलने में साल भर लग जाता है. गुरुवार को ईचागढ़ प्रखंड के बिष्टाटांड़ गांव के समीप जंगल में तीन जंगली हाथी जमे थे. ग्रामीण निमाई चंद्र महतो ने बताया कि जंगली हाथी रोज किसी न किसी किसान की खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
बाकारकुड़ी में दिन में धान खाने निकला हाथी
कुकड़ू प्रखंड के बाकारकुड़ी गांव में गुरुवार की सुबह करीब 4:30 बजे झुंड से बिछड़ा एक जंगली हाथी ने धान की फसल को खाते हुए रौंद डाला. किसानों ने कहा कि इस वर्ष कम बारिश होने के कारण काफी देर से खेती-बाड़ी शुरू की थी. अब फसल तैयार है, तो हाथी बर्बाद कर रहे हैं. ग्रामीणों ने जल्द मुआवजा की मांग की है.
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