फूलगोभी व गन्ना की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान
गम्हरिया. बांधडीह व सिंहपुर के दो दर्जन किसान गोभी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. उनकी आय का मुख्य जरिया सब्जियों की खेती है.
फोटो25एसकेएल5:बांधडीह गांव में की गयी ईंख खेती को दिखाता किसान प्रताप मिश्रा, सरायकेला गम्हरिया प्रखंड के बांधडीह व सिंहपुर गांव के किसान फूलगोभी व ईंख की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. दोनों गांवों के दो दर्जन किसान सब्जी व ईंख की खेती में जुडे हुए हैं. इनकी आय का यह मुख्य साधन है. किसान सब्जी में सिर्फ गोभी की खेती करते हैं. सिंहपुर व बांधडीह की गोभी क्षेत्र में मशहूर है. उत्पादों को स्थानीय हाट बाजार में बेचा जाता है. किसानों के मुताबिक धान की फसल काटने के पश्चात बंधागोभी व फूलगोभी लगाते हैं. जो अक्तूबर के अंत से ही लगाना शुरू हो जाता है और दिसंबर में तैयार सब्जी निकलने लगती है. निजी खर्च पर ये किसान खेती करते हैं. पड़ोस के रामचंद्रपुर गांव के किसान भी गोभी खेती से जुडे़ हुए हैं. गोभी की खेती से लगभग 50 हजार रुपये तक आमदनी हो जाती है. ईंख की भी होती है बड़े पैमाने पर खेती बांधडीह, रामचंद्रपुर (बामुनडीहा) में ईंख की खेती बड़े पैमाने पर होती है. परंतु अब लागत अधिक होने की वजह से किसान ईंख की खेती से मुंह मोड रहे हैं. बांधडीह गांव के किसान विजय महतो ने बताया कि प्रतिवर्ष ईंख की खेती की जाती है जिससे स्थानीय बाजार में ही बेचा जाता है. ईंख के लिए क्षेत्र में बडा बाजार नहीं होने से इसकी अधिक मात्रा में नहीं होती है. बांधडीह गांव का सरकारी तालाब ही सिंचाई का है साधन बांधडीह गांव में एक सरकारी तालाब है. मनरेगा से बने पक्की नाली के माध्यम से खेतों तक पानी पहुंचता है. हालांकि, किसान पटवन के लिए मशीन का सहारा भी लेते हैं. किसान उसी तालाब से वर्षों से गोभी की खेती कर रहे हैं. किसानों के मुताबिक, अगर सिंचाई के और अधिक साधन उपलब्ध रहते तो सालों भर सब्जी की खेती हो सकती है. बांधडीह व सिंहपुर गांव में गोभी उपजाने का क्रेज बांधडीह व सिंहपुर गांव के बाजार में गोभी 40 से 50 रुपये प्रति पीस बिकती है. इस वर्ष 20 से 30 रुपये में गोभी बिक रही है. किसान अमूल्यो महतो ने बताया कि यहां के किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं. सिर्फ गोबर व पारंपरिक खाद से ही खेती की जाती है. क्या कहते हैं किसान — बांधडीह गांव के किसानों के लिए सरकारी तालाब वरदान है. इसी तालाब से ही किसानों के खेतों तक पानी पहुंचती है और किसान रबी फसल बोते हैं. -अमूल्यो महतो, बांधडीह — पहले बड़े पैमाने पर गोभी व ईंख की खेती होती थी. सिंचाई के अभाव में अब धीरे-धीरे कम होने लगा है. तालाब से जितना हो सकता है उतने में खेती होती है.- विजय महतो बांधडीह — गोभी खेती को देखते हुए गांव में एक डीप बोरिंग है, पहले तालाब से ही सिंचाई होती थी. अब डीप बोरिंग से सिंचाई हो रही है. -शंकर महतो, सिंहपुर
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