पंचतत्व में विलीन हुए खरसावां के पूर्व विधायक गुलाब सिंह मुंडा, 1972 के चुनाव में दो हजार खर्च कर बने थे MLA
खरसावां के पूर्व विधायक गुलाब सिंह मुंडा (86 वर्ष) रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ तिलोपदा गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया. संयुक्त बिहार में 1972 से 1977 तक वे खरसावां के विधायक रहे. चुनाव में उन्होंने दो हजार रुपए खर्च किए थे.
खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश-खरसावां के पूर्व विधायक गुलाब सिंह मुंडा (बानरा) का पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ रविवार को कुचाई के तिलोपदा गांव में अंतिम संस्कार किया गया. वह पंचतत्व में विलीन हो गए. स्थानीय विधायक दशरथ गागराई, पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय, आदित्यपुर नगर निगम के पूर्व मेयर विनोद श्रीवास्तव, भाजपा जिलाध्यक्ष उदय सिंहदेव, खरसावां प्रमुख मनेंद्र जामुदा, बबलू सोय समेत बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित की. शनिवार की रात 86 वर्षीय पूर्व विधायक गुलाब सिंह मुंडा का इलाज के दौरान निधन हो गया था. संयुक्त बिहार के दौरान उन्होंने 1972 से 1977 तक खरसावां विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. कहा जाता है कि दो हजार रुपए खर्च कर वे विधायक बने थे.
अलग झारखंड राज्य के प्रबल हिमायती थे गुलाब बाबू
सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई के तिलोपदा गांव के गुलाब सिंह मुंडा (बानरा) वर्ष 1972 में बिहार विधानसभा के लिए हुए चुनाव में खरसावां से विधायक निर्वाचित हुए थे. उस वक्त गुलाब बाबू की उम्र करीब 34 वर्ष थी. चाईबासा के बागुन सुंब्रई के नेतृत्व वाली झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर करीब ढाई हजार वोट से जीत हासिल की थी. उन्होंने चुनाव में करीब दो हजार रुपए खर्च किए थे. गुलाब बाबू के निधन के बाद उनके कार्यकाल में हुए कार्यों के किस्से क्षेत्र के बुजुर्गों की जुबां पर हैं. उस वक्त गुलाब बाबू झारखंड अलग राज्य के प्रबल हिमायती थे. अलग झारखंड राज्य गठन के लिए लगातार आवाज उठाते थे.
चाईबासा से किराए पर एक एंबेसडर कार लाकर करते थे चुनाव प्रचार
1972 में गुलाब सिंह मुंडा जब खरसावां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में थे, तो उनके पास भी संसाधन बहुत कम था. खेती ही जीविकोपार्जन का एक मात्र साधन था. चुनाव प्रचार के दौरान चाईबासा से एक एंबेसडर कार किराए पर लाकर चुनाव प्रचार करते थे. तब कार के लिए डीजल भी चाईबासा से लाना पड़ता था.
विधायक बनने के बाद भी साइकिल या बाइक से करते थे जन संपर्क
पूर्व विधायक स्व. गुलाब सिंह मुंडा अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में बाइक या साइकिल से जन संपर्क करते थे. कुचाई और खरसावां के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क नहीं होने के कारण साइकिल या फिर पैदल चल कर लोगों के बीच पहुंचते थे. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक ध्यान शिक्षा पर दिया था. स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमेशा सजग रहते थे.
विधायक बनने के बाद वेतन और भत्ते के रूप में मिलते थे डेढ़ हजार
1972 में विधानसभा चुनाव जीतने का बाद गुलाब बाबू को वेतन और भत्ते के रूप में करीब डेढ़ हजार रुपए मिलते थे. विधायकों की अनुशंसा पर जाति और आवासीय प्रमाण पत्र बन जाते थे. छोटे-मोटे कामों के लिए लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने नहीं पड़ते थे. वह क्षेत्र के चौक-चौराहों पर बैठ कर ही लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा करते थे.
वह जीते थे सादा जीवन
खरसावां के पूर्व विधायक गुलाब सिंह मुंडा का जीवन सादा था. वह लोगों के मददगार होने के साथ-साथ काफी मिलनसार थे. उन्हें साइकिल पर चलना काफी पसंद था. पूर्व विधायक होते हुए भी अक्सर वे साइकिल से चलते थे.
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