खरसावां गोलीकांड की बरसी पर बोले जयराम महतो, नहीं बन सका शहीदों के सपनों का झारखंड

Jairam Mahto On Kharsawan Firing Anniversary: डुमरी विधायक सह जेएलकेएम (झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा) के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम महतो ने खरसावां गोलीकांड की बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि अब तक शहीदों के सपनों का झारखंड नहीं बन पाया है.

By Guru Swarup Mishra | January 1, 2025 9:26 PM
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Jairam Mahto On Kharsawan Firing Anniversary: सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश/प्रताप मिश्रा-खरसावां गोलीकांड की बरसी पर वीर शहीदों को डुमरी के विधायक सह जेएलकेम (झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा) अध्यक्ष जयराम महतो ने श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि शहीदों के सपनों का झारखंड अब तक नहीं बन पाया है. 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड के शहीदों को वह श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं. झारखंड में 1948 में ही गोलीकांड नहीं हुआ था, बल्कि वह परंपरा आज भी जारी है. बस थोड़ा पैटर्न बदल गया है. पहले अपने हक और अधिकार के लिए लड़नेवालों को गोली मारी जाती थी और आज लाठी-डंडों से पिटवाया जा रहा है. कानून के दांव-पेंच में फंसाया जा रहा है.

जमीन, भाषा और संस्कृति की लड़ाई आज भी जारी


खरसावां गोलीकांड पर जयराम महतो ने कहा कि 1948 में यहां के लोग अपने आप को ओडिशा राज्य में विलय के पक्ष में नहीं थे. इससे उनकी जमीनों के साथ उनकी भाषा और संस्कृति को खतरा था. आज भी झारखंड के आदिवासी-मूलवासी अपनी जमीन बचाने की लड़ाई को लड़ रहे हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि उस समय जमीन बचाने की लड़ाई लड़नेवालों को गोलियों से मारा जाता था और आज लाठी-डंडे से. वह किसी उद्योग के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उद्योग घरानों द्वारा जिन आदिवासी-मूलवासी की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, जब तक उद्योग उस जमीन पर खड़ा रहेगा, तब तक जमीन के मालिक को पीढ़ी दर पीढ़ी रोजगार देना चाहिए.

पेसा कानून को सख्ती से लागू किया जाए

डुमरी के विधायक जयराम महतो ने पेसा कानून पर कहा कि झारखंड में पेसा कानून को कड़ाई से लागू करना चाहिए. इस कानून के लागू होने से ही झारखंड में आदिवासी-मूलवासी की भाषा और संस्कृति की रक्षा हो पाएगी. उन्होंने कहा कि रांची, धनबाद और बोकारो जैसे शहरों में सीएनटी लागू होने के बाद वहां आदिवासियों की संख्या नगण्य हो चुकी है. वहां के आदिवासी विस्थापित हो चुके हैं. पेसा कानून ही झारखंड के आदिवासियों की रक्षा कर सकता है. मौके पर देवेंद्र नाथ महतो, पांडूराम हाईबुरु समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे.

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