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Jharkhand Train Accident: हावड़ा-मुंबई मेल हादसे की प्रारंभिक जांच में खुलासा, कंट्रोल रूम से एक्शन में देरी के कारण हुई दुर्घटना

Jharkhand Train Accident: हावड़ा-मुंबई मेल ट्रेन हादसे को लेकर प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि कंट्रोल रूम से एक्शन में देरी की वजह से हादसा हुआ था. रेलवे के चीफ सेफ्टी कमिश्नर ने जांच शुरू की. मालगाड़ी के चालक, सह चालक और गार्ड से पूछताछ की गयी है. रेल जीएम घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं.

Jharkhand Train Accident: खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश:-रेलवे के चीफ सेफ्टी कमिश्नर जनक कुमार गर्ग ने चक्रधरपुर रेल मंडल के बड़ाबांबो के पास हावड़ा-मुंबई मेल (12810) दुर्घटना मामले की बुधवार को जांच शुरू की. वे पूरी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. जानकारी के अनुसार, उन्होंने घायल लोको पायलट और सहायक लोको पायलट से घटना के बारे में पूछताछ की है. इसके अलावा, मालगाड़ी के चालक, सह-चालक और गार्ड से भी पूछताछ की है. टीम ने घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की है. रेलवे मंत्रालय ने दुर्घटना की जांच रिपोर्ट तत्काल मांगी है, ताकि दुर्घटना के मूल कारण जल्द सामने आ सके. दूसरी ओर, दुर्घटना के बाद से घटनास्थल पर रेल जीएम अनिल कुमार मिश्रा और डीआरएम अरुण जे राठौर खुद कैंप कर रहे हैं. 41 घंटे बाद थर्ड लाइन पर रेल परिचालन शुरू हुआ है.

एक्शन में हुई देरी


ट्रेन हादसे की अब तक की प्रारंभिक जांच में जो बात सामने आयी है, उसके अनुसार कंट्रोल रूम की ओर से एक्शन में देरी होने की वजह से यह हादसा हुआ. जानकारी के अनुसार, मालगाड़ी जब पटरी से उतरी थी, उसके करीब 6 मिनट के बाद उसके ड्राइवर और सहायक लोको ड्राइवर ने कंट्रोल रूम को जानकारी दी थी कि ट्रेन डिरेल हो गयी है और बोगी पटरी से उतर गयी है. इसके बाद भी एक्शन में काफी देरी की गयी. एक्शन में देरी के कारण ही यह हादसा हुआ, जिससे दो यात्रियों की मौत हो गयी और 20 से अधिक यात्री घायल हो गये. दुर्घटना के कारण दो दिन से इस रेल लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही बंद है. अगर ट्रैक्शन पावर कंट्रोल किया जाता तो इससे ट्रेन को मिलने वाली बिजली बंद हो जाती, जिसके बाद ट्रेन स्वत: कुछ दूरी पर जाकर रुक जाती. लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया.

पैसेंजर ट्रेन के ड्राइवर की सूझ-बूझ से बची सैंकड़ों यात्रियों की जान

पैसेंजर ट्रेन के ड्राइवर और सहायक ड्राइवर की सूझ-बूझ से बड़ा हादसा टल गया. रेल सेफ्टी कमिश्नर की टीम ने पाया कि इमरजेंसी ब्रेक लगाने की वजह से बड़ा हादसा होने से बच गया. अगर समय पर इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगाया जाता, तो 120 की स्पीड में जब ट्रेन की टक्कर होती तो हादसा की भयावहता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि, गार्डवाल ने भी काफी सहयोग किया और ट्रेन उसी बीच में रह गयी, जिससे नुकसान कम हुआ.

41 घंटे बाद थर्ड लाइन पर शुरू हुआ रेल परिचालन


हावड़ा-मुंबई मुख्य मार्ग पर चक्रधरपुर रेल मंडल के राजखरसावां-बडाबांबो रेलवे स्टेशन के बीच पोटोबेडा गांव के पास हुए रेल हादसे के करीब 41 घंटे बाद थर्ड लाइन पर रेल परिचालन सामान्य हुआ. पहले रेल ट्रेक से मलबा को हटा कर थर्ड लाइन को दुरुस्त किया गया. इसके बाद इलेक्ट्रिक से जुड़े कार्य को पूर्ण कर इंजन चला कर ट्रायल लिया गया. फिर थर्ड लाइन पर ट्रेनों का आवागमन शुरू हुआ. बुधवार की रात 8.50 में गुड्स ट्रेन को पार किया गया. इसके करीब आधा घंटा बाद रात 9.25 में एक पैसेंजर ट्रेन को थर्ड लाइन से पर कराया गया. थर्ड लाइन पर ट्रेन परिचालन शुरू होते ही वहां करीब 40 घंटे से कार्य कर रहे रेल कर्मियों के साथ साथ रेलवे के अधिकारियों के चेहरे सफलता की मुस्कान देखी गई. बताया गया कि अप व डाउन लाइन में ट्रेनों का परिचालन सामान्य करने में कुछ समय और लग सकता है. 30 जुलाई (मंगलवार) तड़के 3.40 बजे 12810 अप हावड़ा-मुंबई मेल दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. इसके बाद से ही इस रूट पर रेल परिचालन ठप हो गया था.

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