खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : सात जुलाई को आयोजित होने वाली प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा की तैयारी जोरों पर चल रही है. इस वर्ष खरसावां में प्रभु जगन्नाथ नये रथ पर सवारी कर श्रीमंदिर से मौसी बाड़ी (गुंडिचा मंदिर) पहुंचेंगे. यहां पुरी (ओड़िशा) के तर्ज पर प्रभु जगन्नाथ का भव्य व आकर्षक रथ बनाया जा रहा है. रथ की ऊंचाई 25 फीट, चौडाई 12 फीट व लंबाई 18 फीट के आस पास है. ओड़िशा के मयुरभंज के कारीगरों द्वारा रथ का निर्माण किया जा रहा है. खरसावां बीडीओ प्रधान माझी, सीओ शिला कुमारी उरांव समेत पूजा समिति के सदस्यों के देख-रेख में रथ का निर्माण किया जा रहा है.
रथ को दिया जा रहा है आक्रषक लुक
प्रभु जगन्नाथ के रथ में आकर्षक लुक दिया जा रहा है. रथ पर लगाये गये लकडियों में पेंटिंग की जा रही है. साथ ही रथ के सामने पांच घोडा के साथ साथ एक सारथी की प्रतिमा भी बनायी गयी है. अगले एक सप्ताह के भीतर रथ निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा.
रथ निर्माण के लिये सरकार के विधि विभाग से मिला है आवंटन
खरसावां में प्रभु जगन्नाथ के रथ निर्माण के लिये राज्य सरकार के विधि विभाग से पिछले वर्ष 18 लाख रुपये का आवंटन मिला है. खरसावां अंचल कार्यालय के जरीये इस राशि से प्रभु जगन्नाथ का भव्य रथ बनाया जा रहा है.
22 जून को है महाप्रभु का स्नान यात्रा, सात जुलाई को रथ यात्रा
22 जून को महाप्रभु जगन्नाथ का स्नान यात्रा है. इसके ठीक 15 दिनों बाद सात जुलाई को प्रभु जगन्नाथ का वार्षिक रथ यात्रा शुरु होगी. 22 जून को स्नान यात्रा के दौरान महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व बहन सुभद्रा को महास्नान कराया जायेगा. इस दौरान महाप्रभु जगन्नाथ बीमार होंगे तथा 15 दिनों तक उनका इलाज किया जायेगा. सात जुलाई की सुबह महाप्रभु का नेत्रोत्सव किया जायेगा. इसी दिन ही दोपहर बाद महाप्रभु रथ पर सवार हो कर मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर के लिये प्रस्थान करेंगे.
रथ यात्रा के लिये सरकार से मिलता है अवंटन
खरसावां में प्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा समेत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य सरकार से आवंटन मिला है. आजादी से पूर्व यहां रथ यात्रा समेत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राजघराने के राजकोष से राशि उपलब्ध कराया जाता था. 1947 में देश के आजादी के पश्चात सभी धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य सरकार आवंटन उपलब्ध कराती है. जानकारी के अनुसार 1947 में तमाम देशी रियासतों के भारत गणराज्य में विलय के दौरान खरसावां के तत्कालिन राजा श्रीरामचंद्र सिंहदेव व सरकार के बीच इसको लेकर मर्जर एग्रिमेंट किया गया था. इसके बाद इन धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य सरकार राशि उपलब्ध कराती है.
खरसावां में 250 वर्ष पुरानी है प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा
खरसावां में प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्र ढ़ाई सौ साल से भी अधिक पुरानी है. यहां हर साल आषाढ़ शुक्ल के द्वितीया तिथि को पारंपरिक रुप से महा प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. यहां पूरे विधि-विधान के साथ पुरी के तर्ज पर प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है. प्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार हो कर अपने जन्म स्थान मौसीबाड़ी-गुंडिचा मंदिर जाते है. गुंडिचा मंदिर में नौ दिन रहने के बाद पुन रथ पर सवार हो कर पुन अपने निज मंदिर को वापस लौटते है. रथ यात्रा के दौरान आस्था की डोर को खींचने के लिये भक्त पूरे साल का इंतजार रहता है. रथ यात्रा का प्रसंग स्कंद पुराण, पद्म पुराण, पुरुषोत्तम माहात्म्य, बृहद्धागवतामृत में भी वर्णित है. शास्त्रों और पुराणों में भी रथ यात्रा की महत्ता को स्वीकार किया गया है.
क्या कहा अधिकारियों ने
खरसावां सीओ शिला कुमारी उरांव ने कहा कि पुरी (ओड़िशा) के तर्ज पर प्रभु जगन्नाथ के भव्य रथ का निर्माण किया जा रहा है. इस वर्ष प्रभु जगन्नाथ नये रथ पर सवार हो कर गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे. रथ का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. वहीं खरसावां राज परिवार के प्रतिनिधि राजा गोपाल नारायण सिंहदेव ने कहा कि खरसावां की रथ यात्रा ढ़ाई सौ वर्ष से भी अधिक पुरानी है. राजा-राजवाड़े के समय से रथ यात्रा का आयोजन श्रद्धा व भक्ति के साथ होते आ रहा है. प्रभु जगन्नाथ के रथ की डोर खींचने के लिये भक्त साल भर इंतजार करते है. इस भव्य प्रभु जगन्नाथ भव्य रथ की सवारी करेंगे.