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स्वतंत्रता संग्राम के दौरान थाने में आग लगा दी थी पूर्व विधायक धनंजय महतो ने, अंग्रेजी हुकूमत ने कर दिया था जेल में बंद

Republic Day 2025: धनंजय महतो अपनी उच्च शिक्षा के दौरान ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. साल 1942 में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर बंगाल के बड़ा बाजार स्थित एक थाने में आग लगा दी थी.

सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश/ हिमांशु गोप : आजादी की लड़ाई में झारखंड के कई वीर सपूत थे. इनमें से एक सरायकेला के रहने वाले धनंजय महतो भी थे. उनका जन्म 8 अगस्त 1919 को नीमडीह प्रखंड के गुंडा गांव में हुआ था. पिता क्षेत्रमोहन महतो पेशे से किसान थे. प्राथमिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए बंगाल के पुरूलिया जिला स्थित लखनपुर उच्च माध्यमिक विद्यालय में दाखिला लिया. स्कूली जीवन में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी भीमचंद्र महतो से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.

बंगाल के बड़ा बाजार इलाके के थाने में लगा दी थी आग

धनंजय महतो की एक घटना आज लोगों को प्रभावित करती है. साल 1942 के सितंबर माह में उन्होंने भीमचंद्र महतो के नेतृत्व में 19 क्रांतिकारी के दल के लोगों के साथ मिलकर बंगाल के बड़ा बाजार थाने में आग लगा दी. अपने साथियों के साथ मिलकर तत्कालीन मनभूमि जिला के पुरुलिया, पूंनचा, हुड़ा, बाराबाजार, बांधवान समेत कई क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया.

1943 तक पुरुलिया जेल में रहे बंद

धनंजय महतो के उग्र रवैया देखकर अंग्रेजी हुकूमत ने 3 अक्टूबर 1942 से 17 अप्रैल 1943 तक पुरुलिया जेल में बंद कर दिया. 1943 के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के रामगढ़ स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में आयोजित महाधिवेशन में धनंजय ने अपने दर्जनों साथियों के साथ पटमदा से रामगढ़ तक पैदल यात्रा की.

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समाज सेवा में धनंजय महतो का था अहम योगदान

स्वतंत्रता सेनानी सह पूर्व विधायक धनंजय महतो भारत की स्वाधीनता के बाद समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के कार्यकाल में नीमडीह के गुंडा रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया. सिंहभूम कॉलेज चांडिल, उच्च विद्यालय रघुनाथपुर समेत कई शिक्षण संस्था के स्थापना के संस्थापक सदस्य रहे.

2006 में मिला था राष्ट्रपति सम्मान

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाने और सदैव समाज सेवा लिए सक्रिय रहने के कारण वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने धनंजय महतो को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था.

1957 से 1962 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे थे धनंजय महतो

धनंजय महतो 1957 से 1962 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. 1976 से 1982 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य थे. 1984 से 1990 तक आयडा के चेयरमैन समेत अनेकों महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान रहे थे.

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धनंजय महतो की जीवन यात्रा

वर्ष 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गये भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए, 1942-43 में पुरुलिया जेल गए.
वर्ष 1948 में 3 वर्ष की अवधि के लिए जिला बोर्ड मानभूम पुरुलिया के सदस्य बने.

वर्ष 1958- 60 के दौरान मुंगेरीलाल आयोग के सदस्य के रूप में नामांकित हुए

वर्ष 1957 से 1962 में चांडिल निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा सदस्य के रूप में चुने गये

वर्ष 1976 से 1982 में सिंहभूम जिले के विधानसभा परिषद के सदस्य एमएलसी के रूप में चुने गए.

वर्ष 1957 से 1964 के दौरान राज्य और केंद्र में पिछड़ा वर्ग वजीफा समिति के सदस्य के रूप में नामांकित हुए
वर्ष 1964 से 1969 के दौरान सिंहभूम से पंचायत परिषद के अध्यक्ष बने
वर्ष 1960 से 1976 के दौरान जिले के सहकारी बैंक में उपाध्यक्ष, सचिव और निदेशक के पद पर निर्वाचित हुए.

वर्ष 1980 से 1984 तक बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल के सदस्य बने.

वर्ष 1982 से 1984 तक बिहार के भाषण अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य चुने गये

वर्ष 1958 से 1961 के दौरान रांची विश्वविद्यालय के सिंडिकेट के सदस्य बने

वर्ष 1984 से 1990 तक 6 वर्ष के लिए आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण आदित्यपुर के अध्यक्ष के रूप में मनोनीत हुए

अगस्त 2006 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा झारखंड सरकार की अनुशंसा पर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया गया

धनंजय महतो का संक्षिप्त परिचय

नाम धनंजय महतो
पिता का नाम क्षेत्रमोहन महतो
माता रातूली देवी
जन्म 8 अगस्त 1919
योग्यता आईएसीटी
मृत्यु 2 जनवरी 2014 (94 साल)

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