Jagannath rath yatra 2020 Update : सरायकेला : घोष यात्रा के दूसरे दिन बुधवार (24 जून, 2020) को सरायकेला में महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे. पुरोहित- सेवायतों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ महाप्रभु के विग्रहों को कंधे में उठा कर श्रीमंदिर से करीब एक किमी दूर गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया. मंगलवार (23 जून, 2020) को रथ यात्रा के दिन महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और सुभद्रा के विग्रहों को जगन्नाथ मंदिर परिसर में अस्थायी रूप से बनाये गये एक घर में रखा था. बुधवार को यहां से गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया गया.
सरायकेला में महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और सुभद्रा के 2 दिनों में गुंडिचा मंदिर पहुंचने का प्रचलन है. गुंडिचा मंदिर पहुंचने पर भक्तों ने महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा का पारंपरिक उलूध्वनि के साथ स्वागत किया गया. गुंडिचा मंदिर के सिंहासन में महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और सुभद्रा के विग्रहों का शृंगार किया गया. आरती उतारने के साथ ही पूजा- अर्चना की गयी.
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खरसावां के हरिभंजा स्थित गुंडिचा मंदिर में पहले दिन भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा का शृंगार किया गया. बुधवार (24 जून, 2020) को सुबह से ही मंदिर में विधि- विधान के साथ पूजा- अर्चना की गयी. इसके बाद फूल और तुलसी के पत्तों से तैयार माला बना कर भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया गया. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की आरती भी उतारी गयी. दोपहर को पूरे विधि विधान के साथ भगवान को खीर-खिचडी का प्रसाद भी चढ़ाया गया.
जगत के पालनहार प्रभु जगन्नाथ के द्वादश यात्राओं में घोष यात्रा काफी महत्वपूर्ण है. घोष यात्रा के दौरान महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन मात्र से ही पुण्य मिलता है. मान्यता है कि प्रभु जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देने के लिए ही अपने श्रीमंदिर स्थित रत्न सिंहासन को छोड़ कर गुंडिचा यात्रा पर निकलते हैं.
कोविड-19 को लेकर इस वर्ष सरायकेला में रथ मेला का आयोजन नहीं किया गया है. हर वर्ष यहां रथ यात्रा पर आयोजित होने वाले मेला में हजारों लोग पहुंचते हैं तथा 9 दिनों तक चलने वाले मेला में लोगों के मनोरंजन की व्यवस्था रहती है. लेकिन, इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण (Coronavirus infection) को लेकर मेला का आयोजन नहीं किया गया है. मंदिर परिसर में आयोजित होने वाली देव सभा का आयोजन नहीं हो रहा है.
सरायकेला के इतिहास में ऐसा पहली बार देखा गया कि जब प्रभु जगन्नाथ का रथ नहीं चला. कोविड-19 के कारण रथ नहीं चला. कोविड-19 को लेकर सरकार की ओर से जारी आदेश का अनुपालन किया गया. सरकारी आदेश का सम्मान करते हुए यहां के पुरोहित, सेवायत और भक्तों ने प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा के विग्रहों को रथ की जगह अपने कंधों पर लेकर गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया. इस दौरान पूजा से संबंधित सभी रश्मों को निभाया गया. आमतौर पर सरायकेला में रथ यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन इस साल चंद लोग ही मौजूद थे.
Posted By : Samir ranjan.