Saraikela News : भक्त की रक्षा को खंभे से प्रकट हुए प्रभु : पं गौरहरि दाश
सरायकेला के तबलापुर गांव में सात दिवसीय भागवत कथा का दूसरा दिन
सरायकेला.
सरायकेला प्रखंड के तबलापुर गांव में सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक ने भक्त प्रह्लाद की कथा सुनायी. यहां ओडिशा के पुरी से आये कथावाचक पं गौर हरि दाश ने भक्त प्रह्लाद व भगवान विष्णु की भक्ति पर कथा सुनायी और कहा कि भगवान कण-कण में बसते हैं, इसलिए भक्त प्रह्लाद के राक्षस पिता ने जब खंभे को तोड़ा, तो वहां से भगवान अवतरित हुए. प्रह्लाद जी हिरण्यकश्यप (राक्षस) के बेटे थे. हिरण्यकश्यप ने तपस्या की थी, तब उसे भगवान ब्रह्मा ने वर दिया था कि वह किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारा जायेगा, वह न रात में, न दिन में, न धरती पर, न आकाश में. यह वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप को लगा कि वह अमर हो चुका है. उसने बदले की भावना से देवताओं को परेशान करने लगा. हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को अध्ययन के लिए गुरुओं के पास भी भेजा, लेकिन राक्षस का पुत्र होने के बाद भी प्रह्लाद भगवान की भक्ति में मगन रहता था. बालक प्रह्लाद की हरि भक्ति की परीक्षा लेने के लिए हिरण्यकश्यप ने कुछ सवाल पूछे. प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप को बताया कि सबसे श्रेष्ठ भगवान हरि हैं, इसलिए वो उनकी ही पूजा आराधना करेगा.प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप को हरि के ज्ञान से अवगत कराया
कथावाचक ने कहा प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप को हरि के ज्ञान से अवगत करवाया. लेकिन वरदान के मद में चूर हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मारने की ठान ली. मारने से विफल हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से कहा मैं तुम्हारा वध करूंगा. देखता हूं कहां है तुम्हारा भगवान. इस पर प्रह्लाद ने कहा कि हर कण में भगवान हैं. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि खंभे में भी हैं. प्रह्लाद ने कहा, हां हैं. हिरण्यकश्यप ने गुस्से में खंभे पर लात मारी. तभी खंभे में से भगवान श्री हरि नरसिंह रूप में आकर हिरण्यकश्यप के सामने खड़े हो गये. उन्होंने हिरण्यकश्यप को गोधुली बेला में दरवाजे की चौखट पर अपनी गोद में रखा और नाखून से उसका शरीर चीर दिया. मौके पर निर्मल कर, शानो कर, सत्यवान कर सहित सभी ग्राम वासियों की सक्रिय भूमिका रही.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है