Saraikela News : आगइडांगरा के छह सबर परिवार झरने का पानी पीने को विवश
चांडिल : शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य, डाकिया योजना व सड़क से वंचित हैं सबर
चांडिल.सरायकेला-खरसावां जिला के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत लुपुंगडीह पंचायत के डुमरडीह गांव के आगइडांगरा निवासी छह आदिम जनजाति सबर परिवार (पहाड़िया) आज भी मूलभूत समस्याओं से वंचित हैं. 21वीं सदी में भी ये विलुप्त होते आदिम जनजाति सबर परिवार के लोग शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य, डाकिया योजना, सड़क आदि सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ये लोग पांच साल पहले बने जर्जर बिरसा आवास में रहने को मजबूर हैं. जहां घरों में दरवाजे भी नहीं लगाये गये है. जिससे ठंड के मौसम में जीना मुहाल हो गया है. पेयजलापूर्ति नहीं होने से झरने का दूषित पानी पीते हैं. यहां एक मात्र चापाकल है. जिससे दुर्गंध भरा आयरन युक्त पानी निकलता है. जो पीने लायक नहीं है. मालूम हो कि विलुप्त होती आदिम जनजाति के उत्थान को लेकर सरकार ने कई तरह की योजनाएं चलायी हैं, इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों का इनकी ओर ध्यान नहीं है.
तेतलो खड़िया बस्ती जाने तक पक्की सड़क नहीं
वहीं, टेंगाडीह पंचायत के तेतलो खड़िया बस्ती तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. जिससे खड़िया बस्ती के 32 परिवार आदिम जनजाति परिवार के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तेतलो खड़िया बस्ती तक जाने के लिए सड़क बनायी जा रही थी. लेकिन जमीन विवाद के कारण संवेदक के द्वारा तेतलो खड़िया बस्ती की सड़क को दूसरी जगह जैसे-तैसे बना दिया गया. तेतलो बस्ती में पेयजल को लेकर सोलर पानी टंकी लगायी गयी है. जिससे लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है.तीन किमी दूर से राशन लाते हैं
तेतलो खड़िया बस्ती व आगइडांगरा के सबर परिवार के लोग तीन किमी दूर से राशन लाते हैं. डाकिया योजना के तहत मिलने वाली राशन को लाने के लिए सबर जाति के लोगों को राशन डीलर के पास जाना पड़ रहा है. जबकि पहले डाकिया योजना के तहत राशन डीलरों के द्वारा सबर बस्ती में आकर सबर परिवारों के बीच राशन का वितरण किया जाता था.क्या कहते हैं लोग
हमारे सबर बस्ती तक सड़क नहीं है. जिससे मरीजों को खटिया की डोली बनाकर ढोकर लेकर जाना पड़ता है. सड़क नहीं होने के कारण बस्ती तक एंबुलेंस भी नहीं घुसती है. -राजेन सबर, आगइडांगरा.आगइडांगरा बस्ती में एक चापाकल है. चापाकल के पानी से आयरन युक्त पानी निकलता है. पानी से बहुत दुर्गंध आती है. इसलिए हम सभी झरने का पानी पीने को विवश हैं. -दिलीप सबर, आगइडांगरा.पहले हम लोगों को डीलर के द्वारा खाद आपूर्ति का राशन पहुंचाया जाता था. अब हम लोगों को तीन किलोमीटर दूर राशन लाने के लिए जाना पड़ता है. जिससे दिनभर का समय लग जाता है.-बुद्धेश्वर सबर, आगइडांगरा.तेतलो खड़िया बस्ती में सड़क बनने वाली थी. लेकिन सड़क को दूसरे जगह बनाया गया. खड़िया बस्ती में सड़क नहीं बनने के कारण मरीजों को इलाज कराने में काफी परेशानी होती हैं.-दिनेश सबर, तेतलो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है