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भाषा व संस्कृति को समर्पित रहे मधु बाबू : केपी षाड़ंगी

सरायकेला, खरसावां व राजनगर में जयंती पर उत्कल गौरव दिवंगत मधुसूदन दास याद किये गये.इस दौरान संगठनों ने उनके दिये योगदान को बताया व श्रद्धांजलि दी.

खरसावां.

खरसावां के राजबाड़ी परिसर में रविवार को उत्कल सम्मेलनी की ओर से उत्कल गौरव दिवंगत मधुसूदन दास की 177वीं जयंती मनायी गयी. मौके पर लोगों ने उत्कल गौरव की तस्वीर पर श्रद्धांजलि अर्पित की. ओडिया समुदाय के लोगों ने उत्कल गौरव के बताये मार्ग पर चलकर भाषा, साहित्य व संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य करने का संकल्प लिया. उत्कल सम्मेलनी के जिला सलाहकार कामाख्या प्रसाद षाड़ंगी ने कहा कि ओडिया भाषा-साहित्य का विकास ही हमारा लक्ष्य है. इसके लिए ओडिया भाषा साहित्य को जन-जन तक पहुंचाना और इसे सशक्त बनाना ही मधुसूदन दास के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. पूर्व जिला अध्यक्ष हरिश्चंद्र आचार्य ने कहा कि अपनी भाषा, साहित्य व संस्कृति को सशक्त बनाने के लिये आगे आना होगा. उन्होंने उत्कल गौरव मधुसूदन दास द्वारा भाषा, साहित्य व संस्कृति की उत्थान के लिए किये गये कार्यों को हमेशा याद किया जायेगा. जिलाध्यक्ष सुमंत चंद्र मोहंती ने कहा कि मधुसूदन दास के अथक प्रयास से 1903 में उत्कल सम्मेलनी के गठन हुआ था. इसके बाद एक अप्रैल 1936 में स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश के गठन से लेकर ओडिया भाषा, साहित्य व संस्कृति के उत्थान में मधुसूदन दास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया थी.

एक से 8वीं कक्षा के बच्चों ओडिय पुस्तक नि:शुल्क उपलब्ध करायी जा रही:

जिला परिदर्शक सुशील कुमार षाड़ंगी ने कहा कि मधुसूदन दास उत्कल सभा, उत्कल सम्मेलनी, उत्कल साहित्य समाज समेत विभिन्न संगठनों से जुड़े थे. उन्होंने उत्कल सम्मेलनी द्वारा किये जा रहे कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि ओडिया भाषा, साहित्य व संस्कृति के लिए संस्थान की ओर से लगातार कार्य किये जा रहे हैं. कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को ओडिया साहित्य की पुस्तक नि:शुल्क उपलब्ध करायी जा रही है. साथ ही लोगों से अपने बच्चों को मातृभाषा ओडिया में पढ़ाई करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है. इस दौरान उत्कल सम्मेलनी जिला सचिव अजय प्रधान, उपाध्यक्ष बिरोजा पति, कोषाध्यक्ष सपन मंडल, लखींद्र नायक, रंजीत मंडल, सुशांत प्रधान, भारत चंद्र मिश्रा, चंद्रभानु प्रधान, रश्मि रंजन मिश्रा आदि उपस्थित थे.

ओडिया समुदाय ने मनायी मधुसूदन दास की जयंती

राजनगर .

राजनगर साप्ताहिक बाजार स्थित हरि मंदिर के बगल में झारखंड उत्कलीय मूलवासी सांस्कृतिक परिषद की ओर से रविवार को उत्कल गौरव मधुसूदन दास की जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभु जगन्नाथ का भजन गाकर व मधुसूदन दास के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्तिक परीच्छा ने कहा कि मधुसूदन दास के प्रयास से 1903 में उत्कल सम्मेलनी का गठन हुआ. इसके बाद एक अप्रैल 1936 के स्वतंत्र ओडिया प्रदेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. ओडिया समुदाय के सभी लोगों ने उत्कल गौरव मधु बाबू के बताये मार्ग पर चलकर भाषा, सहित्य व संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य करने का संकल्प लिया. पिंटू राउत ने कहा कि मधुसूदन दास ने देश के औद्योगिक विकास में अहम योगदान दिया. अध्यक्ष रवींद्र राणा ने कहा कि भाषा व संस्कृति को बचाने के लिए हम लोग आंदोलन करेंगे. कार्यक्रम का संचालन प्रदीप सिंहदेव ने किया. इस अवसर पर सत्यकिंकर पति, राहुल सतपथी, मधुसूदन बेउरा, जगदीश प्रधान, मुकेश पति, शांति दास, रामचंद्र गोप, बैधनाथ गोप, टूना दास, आसनी प्रधान, कालू प्रधान, प्रकाश साहू आदि उपस्थित थे.

आदर्श पाठागार में उत्कल गौरव की जयंती मनी

सरायकेला.

उत्कलमणि आदर्श पाठागार में उत्कल गौरव मधुसूदन दास की जयंती मनायी गयी. मौके पर संस्था के महासचिव जलेश कवि ने कहा कि मधुबाबू अकेले संयुक्त ओडिशा के सपने की कल्पना की थी. वे ओडिशा के पहले ग्रेजुएट, वकील के साथ एक प्रखर पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. मौके पर भोला महांती, चिरंजीवी महापात्र, काशीनाथ कर, दुखनू कर, राजू कवि, चक्रधर महंती मौजूद थे. सरायकेला में याद किये गये मधुसूदन दास सरायकेला. उत्कल सम्मेलनी शाखा की ओर से मधुसूदन दास की जयंती मनायी गयी. मौके पर सुदीप पटनायक, चिरंजीवी महापात्र, बद्री दरोगा, अमित रथ, बादल दरोगा, गुलू दरोगा, ललन सिंह, दुखुराम साहू मौजूद थे.

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