Jharkhand news, Kharsawan news : खरसावां (शचीन्द्र कुमार दाश) : जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने नयी शिक्षा नीति में जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान दिये जाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और उनकी देखभाल पर केंद्रित है. भाषा से संबंधित विषय पर विशेष ध्यान दिया गया है. इससे जनजाति बहुल क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से अच्छी शिक्षा सुनिश्चित हो सकेगी.
प्रभात खबर से बातचीत में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत जनजाति शिक्षा में भी कई बदलाव किये गये हैं. जनजातीय मामलों और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आश्रमशालाओं में और चरणबद्ध तरीके से वैकल्पिक स्कूली शिक्षा के सभी प्रारूपों में बच्चों की प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि सरकार ने तय किया है कि अब सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा. फिलहाल भारत की जीडीपी का 4.43 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है. शिक्षकों के प्रशिक्षण पर खासा जोर दिया गया है, क्योंकि एक अच्छा टीचर ही एक बेहतर स्टूडेंट तैयार करता है. इसलिए व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गयी है.
श्री मुंडा ने कहा कि अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जायेगा. जैसे कि आपने अगर स्कूल में कुछ रोजगारपरक सीखा है, तो इसे आपके रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलेगी. अभी तक रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. इसके अलावा स्कूली शिक्षा से पास आउट होने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी, जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, वो आसानी से कर सकता है.
Posted By : Samir Ranjan.